Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 1

दिल की बहुत अच्छी थी रीता, उसे कभी ईर्ष्या नहीं होती थी मेरी। रीता के माँ-बापू गाँव में रहते थे। वो यहां उसके भाई भाभी के साथ रहती थी। उसका भाई पोलिस आफिसर था। एक बार हम सब्जी मंडी में गये थे और वहां एक लफंगा हमारे पीछे पड़ गया। ना जाने दस ही मिनट में अमित भाई (रीता का भाई) कहां से आ गये और लफंगे को इतनी धोया की उसे दिन में तारे नजर आ गये होंगे।

दूसरे दिन रीता से मिलते ही मैंने पूछा- “कल भैया वहां कैसे आ गये?”

मेरी बात सुनकर रीता मूड में आ गई- “भैया ने मेरे ऊपर कैमरे लगाए हैं, मैं जो करती हूँ उन्हें मालूम पड़ जाता है, और मुझ पर मुशीबत आती है ना तब भैया मुझे बचाने के लिए सुपरमैन की तरह आ जाते हैं..”

रीता की बात सुनकर मैं अकड़ गई- “बताना हो तो बताओ, नहीं तो मैं जाती हूँ…” मैंने खड़े होते हुये कहा।

रीता ने मेरा हाथ पकड़ा- “बैठ यार, इसने भैया को बुलाया…” कहते हुये रीता ने मुझे मोबाइल दिखाया।

मैं- “मोबाइल से तुमने कब फोन किया था भैया को?” मुझे उसकी बात हजम ना हुई।

रीता- “ये देख…” कहकर रीता ने मोबाइल में कुछ बटन दबाकर मेरे हाथ में दिया। मैंने मोबाइल हाथ में लिया

और देखा तो मोबाइल में कुछ लिखा था, मैं वो पढ़ने लगी।
1. घर 2. कालेज 3. कंप्यूटर क्लासेस 4. निशा का घर 5. सब्जी मंडी 6. रिलीफ रोड 7. बस नंबर 142

मैंने ये सब पढ़ा तो सही, पर समझ में कुछ नहीं आया। ये बात उस समय की है जब ज्यादातर लोगों के पास मोबाइल नहीं होता था और हमारे घर पे तो लैंडलाइन भी नहीं था- “इससे कैसे भैया आ गये?” मैंने पूछा।

रीता ने मेरे हाथ से मोबाइल लिया और कहा- “मोबाइल के अंदर मेसेज बाक्स होता है उसके अंदर ड्राफ्ट्स का फोल्डर होता है जिसमें हम मनचाहे मेसेज सेव करके रख सकते हैं। मैंने वहां पर, मैं ज्यादातर जिस जगह पर जाती हूँ उस जगह का नाम लिखकर सेव किया हुआ है, जो तुमने अभी देखे। और कभी कोई नई जगह पर । जाने वाली होती हैं तो उस जगह का नाम ये खाली रखी लाइन पर लिखकर सेव कर लेती हैं। ये करने को मुझे भैया ने ही कहा है। अब कल वो लड़के ने हमें परेशान किया तो मैंने मोबाइल को ऐसे दो बार दबाया तो मैं ड्राफ्ट्स में आ गई। फिर सब्जी मंडी पर करके वही बटन दबाया तो मेसेज तैयार हो गया और कान्टैक्टस में । भैया का नंबर और नाम सबसे पहले है तो वही बटन फिर से दबाते ही मेसेज भैया को भेज दिया। मेसेज पाते ही भैया समझ गये की मैं किसी तकलीफ में हैं। जगह का नाम तो मेसेज में लिखा ही था। भैया वहां आ गये और उस लड़के की पिटाई की। ये सब घर पे भैया ने मुझसे इतनी बार करवाया है की मैं देखे बिना भी कर सकती हूँ, और मोबाइल पाकेट के अंदर होता है तब भी भैया को मेसेज भेज सकती हैं। पर भैया ने मुझे हिदायत दी है की मैं ये मेसेज तभी उन्हें कर सकती हूँ, जब मुझे कोई मुशीबत या तकलीफ हो…”

रीता ने मुझे विस्तार से समझाया पर मैं ज्यादा समझी नहीं थी- “मेरी सहेली पर कोई तकलीफ कभी ना आए…” मैंने लगनी भरे लब्जों में कहा।

रीता ने कहा- “वो हमारे हाथ में कहां है? पर तू ये बता की समझी कि नहीं समझी?”
मैंने ऐसे ही “हाँ” में सिर हिला दिया।

रीता- “वो तो मुझे ट्राई करनी थी की भैया आते हैं की नहीं? बाकी उसके जैसे 2-3 को तो मैं अकेली ही भारी पड़ती…” रीता ने अपनी बड़ाई करते हुये कहा।

मैं- “हाँ, तुम हंटरवाली जो ठहरी। पूरी कालेज तुझसे डरता है…” मैंने उससे हाथ जोड़ते हुये कहा।

थोड़े दिन बाद

रीता- “निशा वो पेड़ के नीचे लड़का खड़ा है ना उसको देख तो?” रीता ने कालेज के कंपाउंड के पेड़ के नीचे खड़े लड़के की तरफ उंगली करते हुये मुझसे कहा। रीता के कहने पर मैंने पेड़ की तरफ नजर डाली तो वहां जो लड़का खड़ा था, वो हमारी तरफ ही देख रहा था।

मैं- “क्या दिखा रही हो? वो हमें ही देख रहा है, हमारे बारे में क्या सोचेगा?” मैंने मेरी नजर उसपर से हटाते हुये रीता को नाराजगी से कहा।

रीता मेरी बात सुनकर हँसते हुये बोली- “वो हमें देख रहा है इसीलिए तो मैं तुझे दिखा रही हूँ… वो महाशय कैसे लगते हैं, ध्यान से देखकर बता ना…”

मैंने फिर से उस लड़के पर नजर डाली, लड़का मध्यम क़द का दुबला सा था और आँखों पर चश्मा लगाए हुये था- “ठीक है, सीधा-सादा लग रहा है…” मैंने कहा।

रीता- “वो तुमसे दोस्ती करना चाहता है.” रीता ने फिर हँसते हुये कहा।

मैं- “तुझे किसने बताया?” मैं समझ गई थी की रीता को उसी ने बताया होगा, पर मैं रीता के मुँह से सुनना चाहती थी।

रीता- “उसी ने बताया, और कौन बताएगा?” रीता ने कहा।

मैंने सवाल किया- “तो फिर तुमने उससे क्या कहा?”

रीता- “मैंने तो पहले उसे ना ही बोल दिया की मैं निशा से कुछ नहीं कहूँगी, पर उसने मुझसे बहुत रिकवेस्ट की तो मैं तुझे बता रही हूँ..” रीता ने अपनी सफाई दी।

मैं- “तुमने मुझे ये सब बताने की रिश्वत कितनी ली?” मैंने रीता को चिढ़कर पूछा।

मेरी बात सुनकर रीता हँसते हुये बोली- “पोलिस वाले की बहन हूँ, रिश्वत तो लँगी ही समझी… 500 का रिचार्ज करवाया। बहुत बड़ा आशिक है तेरा…”

मैंने गंभीरता से रीता को कहा- “तुम्हारी ये आदत हम पर कभी भी भारी पड़ सकती है…”

रीता- “तू यार, बहुत डरती है और मैं किसी भी लड़के से एकाध बार पैसे लेकर कह देती हूँ की निशा ने ना बोल दिया है, और बिचारों का दिल टूट जाता है, और फिर मुझे कभी नहीं मिलते…” रीता ने फिर से अपनी सफाई में कहा।

Adultery – Incest रुतबा या वारिस – Family Sex Story

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply