Adultery Chudasi (चुदासी ) – Part 1

नीरव मेरी दोनों टांगों के बीच आ गया और उसका लिंग मेरी योनि में डालने की कोशिश करने लगा। मैंने मेरा हाथ नीचे किया और नीरव का लिंग पकड़कर मेरी योनि पर टिकाकर रखा। नीरव ने धक्का देना चालू किया। उसका लिंग सरलता से अंदर चला गया, क्योंकी मेरी योनि बहुत ज्यादा ही गीली हो गई थी। नीरव ने चार-पाँच धक्के लगाए और उसकी सांसें भारी होने लगीं। नीरव ने कहा- “निशु मेरा छूटने वाला है, तुम भी जल्दी करो
ना…”

मैंने मेरे हाथों को उसकी गर्दन के चौतरफा लपेटकर खींचा और उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में ले लिए। नीरव ने और दो धक्के लगाए और वो झड़ गया। उसके वीर्य से मेरी योनि भर गई।

नीरव- “बहुत दिन बाद इस तरह से किया ना निशु… इसलिए कि मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया था…” नीरव ने मेरे ऊपर से उठते हुये कहा।

मेरा मूड खराब हो गया था इसलिए कोई जवाब दिए बगैर मैंने गाउन उठाकर पहन लिया और तभी बेल बजी, और मैं दूध लेने उठी। मैं दूध लेकर वापिस आई तब तक तो नीरव सो भी गया था। थकान की वजह से नीरव 2:00 बजे सोकर उठा और 3:00 बजे आफिस जाने के लिए निकला।

थोड़ी देर बाद मेरी फ्रेंड रीता का फोन आया- “निशा दीदी अहमदाबाद आई और मिले बिना ही भाग गई…”

मैं- “मैं आने वाली थी, पर समय ही नहीं मिला…” मैं जानती थी कि उसको चाहे कितना ही समझाओ वो समझने वाली नहीं थी।

रीता- “एक फोन भी नहीं किया और मिलने वाली थी… फोन करती ना तो मैं मिलने आ जाती..” उसने नाराजगी से कहा।

मैं- “ऐसी बात नहीं है, मैं तुझसे मिलने आने वाली थी, पर काम आ गया तो आ ना सकी। तुझे किसने बताया की मैं आई थी?” मैंने रीता को समझाते हुये पूछा।

रीता- “तू मिलने नहीं आओगी तो मालूम नहीं पड़ेगा क्या? सुबह मम्मी मिली थी उन्होंने बताया…” रीता का गुस्सा अभी खतम नहीं हुवा था।

मैं- “सारी कहा ना, कान पकडूंगी तो ही माफी दोगी क्या?” मैंने मस्ती में कहा।

रीता- “चलो माफ किया, कहो तुम्हारे मिट्ठू मियां कैसे हैं?” रीता भी मजाक के मूड में आ गई।

मैं- “मजे में है नीरव, तूने ढूँढ़ा की नहीं अपने लिए कोई मिट्ठू मियां?” मैंने पूछा।

रीता- “नहीं यार। पहले मुझे कोई पसंद नहीं आ रहा था और अब मुझे कोई पसंद नहीं कर रहा…” रीता ने निराशा के सुर में कहा।

मैं- “क्यों?” मैंने पूछा।
रीता- “बस आजकल के लड़कों को 28 साल की लड़की बड़ी लगने लगी है, और बता क्या चल रहा है?” उसने टापिक चेंज करते हुये पूछा।।

मैं- “बस, मेरा तो क्या रूटीन चल रहा है, तू अपनी बता?” मैंने पूछा।

रीता- “मेरा भी वोही हाल है, वो विजय मिला था याद है ना?” रीता ने पूछा।

मैं- “हाँ याद है। कहां मिला था?” और मुझे कालेज का लास्ट दिन याद आ गया।

रीता- “मैं बाजार जा रही थी, तो गाड़ी लेकर आ गया। तेरे बारे में पूछा तो मैंने बहुत भला बुरा कहा…” रीता ने कहा।

सुनकर मैं उत्तेजित हो गई और पूछा- “उसने तुझे कुछ नहीं कहा?”

रीता- “धमकियां दे रहा था मुझे की तेरी नथ मैं ही उतारूँगा… मैं कहां डरने वाली थी, मैंने भी गालियां दी तो भाग गया.” रीता ने गुस्से से कहा।

मैं- “हाँ, तेरी तो बात ही निराली है, तू हंटरवाली जो है। तेरी बातों में भूल गई की मुझे सब्जी लेने जाना है। मैं फोन रखती हूँ..” मैंने कहा।

रीता- “तुम्हें तो कभी फुरसत ही नहीं मिलती, चलो बाइ..” कहकर रीता ने फोन काट दिया।

रीता के साथ बात होने के बाद, मुझे मेरी कालेज लाइफ याद आ गई। कितने सुहाने दिन थे वो, बहुत मौजमस्ती करते थे हम, ना कोई रोक-टोक, ना कोई झिक-झिक और ना ही कोई टेन्शन। टेन्शन रहता तो सिर्फ इतना रहता की कभी ना कभी हमें भी यहां से जाना पड़ेगा। मेरी और रीता की जोड़ी पूरे कालेज में मशहूर थी।

उसकी कछ वजह भी थी, एक तो मैं और रीता हर समय साथ ही रहती थीं, कभी किसी ने हम दोनों में से किसी को अकेला नहीं देखा था। हम दोनों में से कोई एक ना आने वाला हो तो दूसरा भी उस दिन नहीं आता था। दूसरी वजह मैं थी, क्योंकी कालेज में स्टूडेंट तो क्या सारे प्रोफेसर भी मुझे पहचानते थे और मेरे बारे में जानने की कोशिश करते रहते थे, और उसका पूरा लाभ रीता उठाती थी। मेरी बदौलत वो इनकमिंग चार्ज के जमाने में भी मोबाइल इश्तेमाल करती थी। जो लड़के मुझसे दोस्ती करना चाहते थे, वो रीता को मिलते तो रीता उनसे मोबाइल का रीचार्ज करवाती, या फिल्मों की टिकेट मँगवाती, या कभी स्कूटी में पेट्रोल डलवाती। फिर भी। मेरी अच्छी चाहने वाली पक्की सहेली थी। मुझे कभी ना कहती की तुम मेरे लिए ये लड़के से दोस्ती करो, और हमेशा मुझे लड़कों से दूर रहने की हिदायत देती रहती।।

मैं पढ़ने में बहुत कमजोर थी क्योंकी बचपन से ही सबकी बातें सुन-सुनकर मेरे दिमाग में घर कर गया था की मैं इतनी खूबसूरत हूँ की मुझे सबसे अच्छा और धनवान पति मिलने वाला है, इसलिए मुझे कहां नौकरी करनी है जो मैं पढ़ाई करूं?

बचपन की बातें याद आते ही मैं मन ही मन मेरी उस वक़्त की नासमझी पर हँस पड़ी और फिर से पुरानी यादों में खो गई। खूबसूरत तो मैं थी ही, जीजू जब दीदी को देखने आए थे तब मम्मी ने मुझे हिदायत दी थी की मैं । कहीं बाहर ना आ जाऊँ, और जीजू की नजर में ना चढ़ जाऊँ। दीदी बहुत ही खूबसूरत थी, पर सभी कहते थे की जब तक सामने वाला मुझे देख ना ले तब तक ही दीदी उन्हें खूबसूरत लगती थी।

रीता भी हमेशा मजाक में कहती रहती थी- “तू साथ होती है ना तो मैं सेफ रहती हूँ, लड़के तुझे ही देखते रहते हैं। मैं तो किसी की नजर में ही नहीं आती…”
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