अगली सुबह रिया के रूम में। वो उठ चुकी थी। बेड में लेटी हुई थी। कल के बारे में सोच रही थी। कैसे जय जैसे काले बदसूरत बूढ़े ने उसकी चुदाई की। एक ऐसा हादसा जिसकि वो अपने सबसे बुरे सपने में भी ना देखा हो। रिया यही सब सोचते हुए अब बेड़ से उतरकर फ्रेश होने चली जाती है।
इधर नेहा अपने रूम में नहाकर एक साड़ी पहन लेती है। मिरर के सामने बैठकर हल्का सा मेकप करती है। वो जब लिपस्टिक लगा रही थी तो उसे राज का ध्यान आता है की कैसे राज उसके होंठ को बड़े ही सिदत से चूसता है। कैसे उसके लाल-लाल होंठों को चूमता है। राज का खयाल आते ही नेहा के होंठ दाँत से कटने लगते हैं। उसके चेहरे पर मिरर में देखते हुए एक चमक आ जाती है। वो शर्मा जाती है। फिर वो लिपस्टिक लगाकर नीचे चली जाती है नाश्ता करने। उसको नास्ता सर्व करती है नीलू।
थोड़ी देर बाद रिया आ जाती हैं। रिया ने भी एक मस्त साड़ी पहनी थी।
नेहा- अरे आओ रिया।
रिया- जी दीदी।
नीलू रिया को भी नाश्ता सर्व करती है।
नेहा- रिया कल रात सोई नहीं क्या?
रिया थोड़ा डर जाती है की कहीं नेहा को पता तो नहीं चल गया?
रिया- क्यों दीदी?
नेहा- तुम्हारी आँखें लाल लग रही हैं।
रिया मन में- “ओहह नहीं… अब क्या कह दीदी को? उस बूढे कमीने ने मेरे साथ जो भी किया अगर वो किसी को भी पता चला तो मेरी क्या इज्जत रह जाएगौ?” और रिया सोच रही थी क्या जवाब दे नेहा के सवाल का।
इधर नेहा मन में- “सारी रिया। तुम्हारी जो हालत हुई कल उसमें मेरा भी कुछ हद तक हाथ था। मुझे पता है तुम्हारी कल की रात बहुत दर्द भरी गुजरी होगी। लेकिन क्या कर वो दोनों बड़े हैं ही कमीने…”
नेहा- रिया, कहां खो गई:
रिया- “वो… वो… दीदी कुछ नहीं..”
नेहा- तुम्हारी आँखें क्यों लाल है?
रिया- बो दीदी कुछ नहीं, अस आँख में कुछ चला गया था।
नेहा जानती थी कि रिया झठ बोल रही हैं। लेकिन नेहा को ये भी लगा था की रिया जैसी जवान और खूबसूरत औरत चुप रहने वालों में से तो नहीं है। फिर भी वो कैसे चुप हैं अब तक
नेहा- अच्छा ठीक है।
दोनों नाश्ता करने के बाद अपने-अपने रूम में वापस चली जाती हैं। जय काम पर चला गया था लेकिन समेसा की तरह राज फिर से कुछ ना कुछ बहाना बनाकर सक जाता है। वो जय के जाने के बाद मेनगेट से होते हुए घर में चला आता है। डाइनिंग हाल में नीलू बर्तन उठा रही थी।
नीलू राज को देखकर- “अरे राज आ जाओ नाश्ता करने..”
राज- मेरा नाश्ता तो ऊपर है।
नीलू समझ जाती है की राज नेहा की बात कर रहा है।
नीलू- ओहो… क्या बात है सुबह सुबह?
राज- साली चीज हैं वैसी है की उसके बिना मन ही नहीं लगता।
नीलू- राज तुम दोनों तो मुझे भूल ही गये हो।
राज- अब नई चीज के सामने यानी चीज की क्या हसियत?
नीलू- “बड़ा कमीना है तू.” कहकर नीलू किचेन में चली जाती है।
राज सीढ़ियाँ चढ़ते हुए ऊपर जाने लगता है। नेहा के दरवाजा के पास पहुँचकर वो दरवाजा खोलता है। अंदर नेहा अपनी ब्लाउज़ की होरी खींचने की कोशिश कर रही थी, जो उसमें नहीं हो रही थी। राज ये नजारा देखकर गरम हो जाता है। नेहा की गोरी आलमोस्ट नंगी पीठ उसके सामने भी। और उसके गोरे हाथ पीछे आते हए डोरी निकालने की कोशिश कर रहे थे। राज दरवाजे से देखता है तो उससे रहा नहीं जाता और वो अंदर चला जाता है। वो नेहा की पीछे जाकर उसकी कमर में अपने काले हाथ डाल देता है।
नेहा अचानक यू अपनी पतली कमर पर राज के हाथ टच होने से मुह से ठंडी हल्की सिसकारी निकलती है “आहह..” और उसके गोरे हाथ डोरी को छोड़कर राज के काले हाथों पर आ जाते हैं।
राज- में कुछ मदद करूँ?नेहा अपनी गर्दन राज के टच से पीछे कर देती हैं। जैसे वो राज से अलग नहीं होना चाहती हो। उसके टच ने एक बिजली से गुजार दी भी उसके शरीर में। राज नेहा की ब्लाउज़ की डोरी खींच देता है। डोरी खुलते ही नेहा की गोरी पीठ बिल्कुल नंगी हो जाती है। राज पीछे से थोड़ा झुक कर नेहा की गोरी दूध जैसी पीठ को चूमने लगता है।
राज के काले सखे होंठ के सूखेपन से नेहा को अपनी पीठ पर गुदगुदी हो रही थी। वो नेहा की पीठ को हर तरफ चूम रहा था। जो नेहा को पागल बना रहा था। नेहा अपने होंठों काट रही थी। वो काम के टच से पागल हो रही थी। अब राज नेहा के गले के पास आकर उसके बाल दूसरी साइड करके कान के पास चूमने लगता है।
नेहा- “अहह… क्या कर रहे हो?”
राज वहीं चूमते हुए. “प्यार कर रहा हूँ मेरी जान…”
नेहा- “अहह..”
राज के हाथ नेहा की गोरी कमर पर भी चल रहे थे। उसके काले हाथ नेहा की गोरी कमर पर। अफफ्फ… बहुत हाट दृश्य आ। नेहा अब गरम हो चुकी थी। जो राज बखूबी जानता था। अब राज नेहा के कान को अपने दाँत से हल्का सा काटता है।
नेहा- आइs क्या कर रहे हो?
राज- चप रह मेरी जान। तू बस मजा ले।
नेहा- क्या तुम सुबह-सुबह शुरू?
राज तभी नेहा की चूचियां पकड़ लेता हैं अपने दोनों हाथों से। राज के हाथ नेहा की बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगते हैं।
नेहा- “अहह… अहह…” और नेहा का बदन अकड़ रहा था राज की हरकतों से।
राज अब नेहा का ब्लाउज़ धीरे से निकाल देता है। अब नेहा ऊपर से सिर्फ ब्रा में थी, और उस ब्रा में कैद उसके गोरे दूध जैसे चूचियां। नेहा उस वक़्त मस्त लग रही थी सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में। राज का लण्ड उसकी पैंट में खड़ा हो चुका था। राज पीछे से चिपका हुआ था। अब राज नेहा के पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पकड़ लेता है और एक बार मसलता है।
नेहा- “अहह..”
फिर हाथ ऊपर लाकर नेहा की ब्रा के अंदर अपने हाथ डालकर एक बार मसलता है। झा के अंदर कीम के काले हाथ नेहा की गोरी चूचियों को मसल रहे थे। नेहा की गोरी चूचियों के ब्राउन निप्पल। उफ्फ्फ… क्या दृश्य होगा। नेहा को राज का अकड़ा हुआ लौड़ा अपनी गाण्ड की दरार पर महसूस हो रहा था।
नेहा को मस्ती सूझती है, और कहती है- “तुम्हारा शैतान देखो कैसे मुझे परेशान कर रहा है?”
राज- मेरी जान बो परेशान नहीं, तेरे से प्यार कर रहा है।
नेहा- उससे कहो थोड़ा ठीक से प्यार करे। बहुत तंग कर रहा है वो मुझे।
राज अब् पीछे से नेहा की ब्रा का हुक खोलने लगता है। हक निकालकर वो एक बार उधर चूमता है और फिर ब्रा नि काल देता है। अब नेहा की चूचियां बिल्कुल नंगी थी। लेकिन नेहा अब बिल्कुल बेशर्म हो गई थी। अपनी चुचियां छपाने की बिल्कल कोशिश नहीं करती इस बार। राज अब नेहा को चुचियां पीछे से पकड़ लेता है और मसलने लगता है। इस बार वो उसके निपल भी मसल रहा था।
नेहा- “अहह… अहह..”
नेहा की गोरी चूचियां अच्छी तरह से मसल रहा था वो जैसे आंटा गूँथ रहा हो। नेहा बस अपना सिर पीछे करके सिसकारियां लेते हुए खड़ी थी तभी राज उसकी गोद में उठा लेता है। नेहा राज की तरफ देखने लगती हैं।
राज भी उसकी तरफ देखते हुए कहता है- “बेड में चले..”
नेहा शर्मा जाती है। राज नेहा को अपनी गोद में उठाकर बेड की तरफ जाने लगता है। बेड के पास जाकर वा नेहा को धीरे से लिटा देता हैं बेड पर। नेहा लेटी हुई राज को देखने लगती है।
राज भी नेहा की तरफ बड़ी प्यासी नजरों से देखते हुए अपनी शर्ट निकालने लगता है। शर्ट निकालते ही उसकी सफेद बालों से भरी हुई छाती सामने आ जाती है। नेहा उसे देखकर शर्मा जाती है।
राज- “हाय मेरी जान शर्मा गई..”