३६
पोलिस स्टेशनमें इन्स्पेक्टर राणाके सामने एक पुलिस बैठा हुवा था.
” सर हमने अतुल बिश्वासके सारे फोन कॉल्स टॅप किए है … उनमेंसे यह एक महत्वपुर्ण लगा ..” वह पुलिस सामने रखा टेपरेकॉर्डर शुरु करते हूए बोला.
टेपरेकॉर्डर शुरु हो गया और उसमेंसे वह टेप किया हुवा फोन कॉल सुनाई देने लगा.-
” रघु… मुझे वहां आनेके लिए ७-८ दिन लगेंगे … पैसे संभालकर रखना … मै वहां पहूचनेके बाद हम उसे बाट लेंगे .. ” अतुलने कहा.
” ठीक है .. ” रघुने कहा.
” और हां … अपने कॉम्प्यूटरको पुरी तरहसे फॉरमॅट करना… उसमें कुछभी बाकी रहना नही चाहिए … “
” ठीक है … तूम इधरकी बिलकुल चिंता मत करो… मै सब संभाल लूंगा ..”
” ओके देन … बाय”
” बाय .. “
इन्स्पेक्टर राणाने वह संवाद रिवाईंड कर फिरसे बार बार सुना. और फिर वे एक इरादेके साथ खडे होते हूए उस पुलिससे बोले,
“चलो “
इन्सपेक्टरने भलेही सिर्फ एकही शब्द कहा था, फिरभी वह इशारा उस पुलिसको काफी था. इन्स्पेक्टर आगे आगे और वह पुलिस उनके पिछे पिछे चलने लगे.
३७
रातका समय था. एक अंधेरे कमरेमें रघु कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर कुछ कर रहा था. कमरेमें जोभी कुछ उजाला था वह उस मॉनिटरकाही था. उस मॉनिटरके रोशनीमें रघुका भद्दा चेहरा और ही भयानक दिख रहा था. तभी दरवाजेपर दस्तक हूई. रघु उठ खडा हूवा,
लगता है आगए साले बेवडे…
उसने सोचा. यह उसके रातमें इकठ्ठा होनेवाले दोस्तोंके आनेका वक्त था. वे इकठ्ठा होकर देर रात तक पिते थे और गप्पे मारते बैठते थे. और इतनेमें उसके पास पैसा आनेसे उसके यहां आनेवाले दोस्तोंकी गिनती बढती जा रही थी.
” कोण है बे?” मस्तीमें बोलते हूए उसने दरवाजा खोला.
और उसके चेहरेका रंग फिका पड गया. उसके चेहरेकी मस्ती पुरी तरहसे उड गई थी. उसके सामने दरवाजेमें इन्स्पेक्टर राणा और और पांच छे पुलिस खडे थे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे. वह कुछ सोचे और कुछ हरकत करे इसके पहलेही पुलिसने उसे दबोचकर अरेस्ट किया.
” मैने क्या किया ?” रघु अपने चेहरेपर मासुमियतके भाव लाकर बोला.
कोई कुछभी प्रतिक्रिया नही दे रहा है यह देखकर वह फिरसे बोला,
” मुझे क्यों अरेस्ट किया गया … कुछ तो कहोगे ?”
फिरभी कोई कुछ नही बोला.
” ऐसे आप कुछभी गलती ना होते हूए किसीको अरेस्ट नही कर सकते … यह कानुनन अपराध है ” वह अपनी आवाज बढाकर बोला.
फिरभी कोई कुछ बोलनेके लिए तैयार नही था, यह देखते हूए वह चिढकर चिल्लाया,
” मुझे क्यो अरेस्ट किया गया है ?”
” पता चलेगा… जल्दीही पता चलेगा ” इन्सपेक्टरका एक साथी ताना मारते हूए धीमे स्वरमें बोला.
अब कंधा उचकाकर, चेहरेपर जितने हो सकते है उतने मासुमियतके भाव लाकर, वह उनकी हरकते निहारने लगा. एक बलवान पुलिस उसके हाथोमें हथकडीयां पहनाकर उसे घरके अंदर ले गया. बाकी सारे पुलिस घरमें सब तरफ फैलकर घरकी तलाशी लेने लगे. उनमेंसे दो लोग ड्रेसमें नही थे, वे कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट थे. उन्होने तुरंत कॉम्प्यूटरपर कब्जा किया. कॉम्प्यूटर शुरुही था इसलिए अपराधीसे पासवर्ड हासिल करना या उस कॉम्प्यूटरका पासवर्ड ब्रेक करना, यह सब टल गया था. पुलिसकी टीम पुरे घरकी और आसपासकी तलाशी लेते हूए जब कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द इकठ्ठा हो गई, तब कॉम्प्यूटरपर बैठे एक्सपर्टमेंसे एकने इन्स्पेक्टर राणासे कहा,
” सर इसमें तो कुछभी नही है “
” घरमेंभी कुछ नही मिल रहा है ” टीममेंसे एकने जोड दिया.
” कुछ होगा तो मिलेगा ना … मुझे लगता है आप लोग गलत घरमें घुस गए हो ” रघुने बिचमेंही कहा.
” ठीकसे देखो .. उसने अगर हार्डडिस्क फॉरमॅट की हो तो अपने रिकव्हरी टूल्स रन करो ” इन्सपेक्टरने कहा.
” यस सर” कॉम्प्यूटर एक्सपर्ट बोला.
टिममेंसे कुछ पुलिस अबभी घरमें सामान उलट पुलटकर देख रहे थे. तभी एक पुलिस वहा इन्सपेक्टरके पास एक बॅग लेकर आया. उसने बॅग खोली तो अंदर कपडे थे. उसने कपडेभी बाहर निकालकर देखा, लेकिन अंदर कुछभी नही था.
” देखो … घरका कोना कोना छान मारो …” इन्स्पपेक्टर उन्हे मायूस हुवा देखकर उनका हौसला बढानेके उद्देशसे बोला.
” यस सर” उस पुलिसने कहा और फिरसे घरमें ढुंढने लगा.
तभी कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टका उत्साहीत स्वर गुंजा ” सर मिल गया “
सारे लोग अपने अपने काम छोडकर कॉम्प्यूटरके इर्द गिर्द जमा हो गए. और वे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ बडी आस लेकर देखने लगे. उनमेंसे सिनियर कॉम्प्यूटर एक्सपर्टने कॉम्प्यूटरपर एक फाईल खोली. शायद उसने वह रिकव्हरी टूल्सका इस्तेमाल कर रिकव्हर की होगी. वह फाईल यानी ब्लॅकमेलरने पहले मेलमें ईशाको भेजा हुवा ईशा और अस्तित्व के प्रणयका फोटो था. इन्सपेक्टरने अब गुस्सेसे मासूम बननेकी कोशीश कर रहे रघुकी तरफ देखा. रघुके चेहरेसे मासूमियतभरे भाव कबके उड चुके थे. उसने अपनी गर्दन झुकाई थी. इन्स्पेक्टरने अपने साथीसे इशारा करतेही वह पुलिस अरेस्ट किए हुए रघुको बाहर ले गया. रघु चुपचाप कुछभी प्रतिकार ना करते हूए उस पुलिसके पिछे पिछे चलने लगा.
रघुको उस पुलिसने वहांसे बाहर ले जातेही, इन्स्पेक्टर राणाने अपना मोबाईल लगाया –
” ईशा गुड न्यूज… “३८
पुरी कहानी सुनाकर इन्स्पेक्टरने एक लंबी सांस ली. स्टेजपर इन्स्पेक्टर राणा, ईशा, सीक्युर डेटाके डायरेक्टर और ऍन्कर खडे थे. पुरी कहानी खत्म होगई थी, फिरभी लोग अभीभी शांत थे. हॉलमें मानो शमशानसी चुप्पी फैली हुई थी. तभी ईशाको हॉलके पिछले हिस्सेमें अस्तित्व खडा हुवा दिखाई दिया. ईशाने हात हिलाकर उसे स्टेजपर बुलाया. अस्तित्व भी लगभग दौडते हूएही स्टेजपर गया. ईशाने उसका हाथ अपने हाथमें लेकर उसे अपने पास खडा किया. अबतक जो सब लोग शांत थे वे अब तालियां बजाने लगे. और तालियाभी इतनी की मानो उन्होने सारा हॉल सरपर लिया हो. तालियां रुकनेका नाम नही ले रही थी.
अबभी अस्तित्व का हाथ ईशाके हाथमें कसकर पकडा हुवा था. ईशाने दुसरा हाथ दिखाकर लोगोंको शांत रहनेका इशारा किया और वह माईक हाथमें लेकर बोलने लगी –
” हमारा प्रेम… यां यू कहिए … हमारा इ – लव्ह … लगा था कमसे कम इसमें तो बाधाएं नही आयेंगी .. लेकिन ऐसा लगता है की प्यार की राहमें हमेशा बाधाए आती है …”
ईशाने हॉलमें सब तरफ अपनी नजरे घुमाई और वह अस्तित्व का हाथ और कसकर पकडते हूए आगे बोली, ” … लेकिन कुछभी हो … आखिर जित प्यारकीही होती है “
लोगोंने तालिया बजाते हूए फिरसे पुरा हॉल मानो अपने सरपर उठा लिया.
अब अस्तित्व ने माईक अपने हाथमें लिया और लोगोंको शांत रहनेका इशारा करते हूए वह बोला,
” हमारे दोनोके प्रेमकहानीसे आप लोग एक सिख जरुर ले सकते है की … ” एक क्षण स्तब्ध रहकर वह आगे बोला, ” की बुरेका अंत आखिर बुरेमेंही होता है …”
फिरसे लोगोंने तालियां बजाकर मानो उसके कहनेको अपनी सहमती दर्शाई. तभी एक कंपनीका आदमी स्टेजके पिछले हिस्सेसे स्टेजपर आ गया. उसकी चारो ओर घुमती हूई आंखे स्टेजपर किसीको ढूंढ रही थी. आखिर उसे कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर कश्यपजी दिखतेही वह उनके पास गया और उनके कानमें कुछ बोलने लगा. वह जोभी बोल रहा था वह सुनकर कश्यपजींके चेहरेपर अचानक हडबडाहट, आश्चर्य और डरके भाव दिखने लगे. उनके चेहरेपर वे भाव देखकर स्टेजपर उपस्थित बाकी लोगोंके चेहरेपरभी भाव बदल गए थे. स्टेजपर जो हल्का फुल्का खुशीका माहौल था वह एकदमसे तनावमें बदल गया था. उस कंपनीके आदमीने कश्यपजीको सब बतानेके बाद कश्यपजीने स्टेजपर इधर उधर देखा और वे इन्स्पेक्टर राणाकी तरफ बढने लगे.
अब कश्यपजी इन्स्पेक्टरके कानमें कुछ बोल रहे थे. इन्स्पेक्टरकीभी वही दशा हो गई थी. उनके चेहरेपरभी हडबडाहटभरे आश्चर्य और डरके भाव आगए थे. तबतक ईशा, अस्तित्व और वह ऍन्करभी इन्स्पेक्टरके पास पहूंच गए.
” क्या हुवा ?” ईशाने एकबार इन्स्पेक्टरकी तरफ तो दुसरी बार कश्यपजीकी तरफ देखते हूए पुछा.
” जाते हूए वह अपना आखरी दांव खेल गया है ” इन्सपेक्टरने बताया.
” लेकिन क्या हुवा ?” अस्तित्व ने पुछा.
” थोडा खुलकर तो बताओ ?” ईशाने कश्यपजीकी तरफ देखते हूए पुछा.
” खुलकर बोलनेके लिए अब वक्त नही है … चलो मेरे साथ चलो ” कश्यपजी अब जल्दी करते हूए बोले. और तेजीसे स्टेजके पिछले हिस्सेसे उतरकर उस कंपनीके आदमीके साथ अपने ऑफीसकी तरफ जाने लगे.
इन्स्पेक्टर, ईशा, और अस्तित्व भी चुपचाप उनके पिछे चलने लगे. वह ऍन्कर उनके पिछे जाएकी ना जाए इस दुविधामें स्टेजपरही रुका रहा, क्योंकी अबतक हॉलमें उपस्थित लोगोंमे खुसुरफुसुर और गडबडी शुरु हो गई थी. हकिकतमें क्या हुवा यह जाननेकी जैसे उन लोगोंकी उत्सुकता बढ रही थी. लेकिन जितने वे लोग अनभिज्ञ थे उतनाही वह ऍन्करभी अनभिज्ञ था. लेकिन क्या हुवा यह जाननेसे बडी जिम्मेदारी अब उस एन्करके कंधेपर आन पडी थी – किसीभी तरह उन लोगोंको शांत करके वहां उस हॉलसे सही सलामत बाहर निकालनेकी.
कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर कश्यपची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. कश्यपजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर राणा और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे ईशा और अस्तित्व थे. सबलोग जब कश्यपजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. कश्यपजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. ईशा और अस्तित्व ने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था – आल दी सर्व्हर डाटा अँड कॉम्प्यूटर डाटा ह्याज बिन डिलीट. टू रीकवर एंटर दी पासवर्ड’ और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. टाईम– ५:१०:२६
” ओ माय गॉड… ” कश्यपजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.
उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.
” सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है … ” कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, ” सर जरा इधरभी देखिए ..”
उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.
डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था – आल दी सर्व्हर डाटा अँड कॉम्प्यूटर डाटा ह्याज बिन डिलीट. टू रीकवर एंटर दी पासवर्ड’
और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.
टाइम – ०५:०३:०२
” सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है ” अस्तित्व ने कहा.
” इट्स अ टीपीकल एक्झाम्पल ऑफ ईटेररीझम” ईशाने कहा.
” हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है ” कश्यपजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.
” आप चिंता मत किजिए … पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है ” इन्स्पेक्टरने कहा.
तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए सॅमको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. सॅम धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.
” पासवर्ड क्या है ?…” इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.
इन्स्पेक्टरने ‘साम दाम दंड भेद’ से पहले ‘दंड’ का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.
” जल्दी क्या है … पहले मेरी हथकडीतो खोलो … अभी और ५ घंटे बाकी है ” सॅम हसते हूए शांत स्वरमें बोला.
इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे सॅम चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ‘ अं हं… इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना … ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद … तुम्हारेपास जो ५ घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे….. पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा …”
इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.
” खोलो मेरी हथकडी ” सॅमने फिरसे कहा.
इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. सॅमने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,
” हां अब देखो… कैसे खुला खुला लग रहा है “
” पासवर्ड क्या है ?” फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.इन्स्पेक्टर, ईशा, और अस्तित्व भी चुपचाप उनके पिछे चलने लगे. वह ऍन्कर उनके पिछे जाएकी ना जाए इस दुविधामें स्टेजपरही रुका रहा, क्योंकी अबतक हॉलमें उपस्थित लोगोंमे खुसुरफुसुर और गडबडी शुरु हो गई थी. हकिकतमें क्या हुवा यह जाननेकी जैसे उन लोगोंकी उत्सुकता बढ रही थी. लेकिन जितने वे लोग अनभिज्ञ थे उतनाही वह ऍन्करभी अनभिज्ञ था. लेकिन क्या हुवा यह जाननेसे बडी जिम्मेदारी अब उस एन्करके कंधेपर आन पडी थी – किसीभी तरह उन लोगोंको शांत करके वहां उस हॉलसे सही सलामत बाहर निकालनेकी.कंपनीके उस आदमीने कंपनीके मॅनेजींग डायरेक्टरके कानमें कुछ खुसफुसाकर प्रोग्रॅमका सारा मुडही बदल दिया था. डायससे निचे उतरकर कंपनीके मॅनेजिंग डायरेक्टर कश्यपची सिधे अपने कॅबिनके तरफ जाने लगे. कश्यपजींको वह फासला मानो बहोत दूर लग रहा था. डायसकी सिढीयां उतरकर और उनके ऑफीसकी सिढीयां चढते हूए पहलीबार उन्हे थकावट महसूस हो रही थी. उनके पिछे इन्स्पेक्टर राणा और सबसे पिछे असमंजसमें चल रहे ईशा और अस्तित्व थे. सबलोग जब कश्यपजींके कॅबिनमें घुस गए, तब वहां पहलेसेही कुछ लोगोंने कॉम्प्यूटरके इर्दगिर्द भिड की थी. कश्यपजीभी उस भिडमें शामिल हो गए और कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ आश्चर्यसे देखने लगे. ईशा और अस्तित्व ने जब उस भिडमें घुसकर उस मॉनिटरकी तरफ देखा. तब कहां उनको सारे मसलेका अवलोकन हुवा. उनके मनमें चल रही सारी शंकाए एक पलमें नष्ट होकर वह जगह अब चिंता और डरने ली थी. मॉनिटरपर एक ब्लींक हो रहा मेसेज दिख रहा था – आल दी सर्व्हर डाटा अँड कॉम्प्यूटर डाटा ह्याज बिन डिलीट. टू रीकवर एंटर दी पासवर्ड’ और मॉनिटरपर उलटी गिनती दिखा रही टाईम बॉम्बके घडी जैसी एक घडी दिख रही थी. टाइम – ०५:१९:२६
” ओ माय गॉड… ” कश्यपजींके आश्चर्यासे खुले रहे मुंहसे निकल गया.
उनका पुरा बदन पसिना पसिना हो गया था और चेहरेपरभी पसिनेकी बुंदे दिख रही थी. सब डाटा अगर डिलीट हूवा तो होनेवाले नुकसानके कल्पनाभरसेही वे घबरा गए थे.
” सर यही नही तो कंपनीके सारे कांम्प्यूटरपर यह मेसेज आया है … ” कंपनीका एक आदमी बोला. और फिर सब लोगोंको डॆव्हलपमेंट सेंटरकी तरफ ले जाते हूए बोला, ” सर जरा इधरभी देखिए ..”
उसके पिछे सारे लोग कुछ ना बोलते हूए जा रहे थे, मानो समशानमें जा रहे हो.
डेव्हलपमेंट सेंटर यानी एक बडा हॉल था और वहां छोटे छोटे क्यूबिकल्स बनाकर हर डेव्हलपरकी तरफ ध्यान दिया जा सके और सबको प्रायव्हसीभी मिले इसका खास ध्यान रखा गया था. वहां सब कॉम्प्यूटरके मॉनिटर्स शुरु थे और सब मॉनिटरपर एकही मेसेज था – आल दी सर्व्हर डाटा अँड कॉम्प्यूटर डाटा ह्याज बिन डिलीट. टू रीकवर एंटर दी पासवर्ड’
और यहांभी सब कॉम्प्यूटर्सपर उलटी गिनती चल रही थी.
टाइम – ०५:०३:०२
” सचमुछ गुनाहगार जाते हूए अपनी आखरी चाल चल गया है ” अस्तित्व ने कहा.
” इट्स अ टीपीकल एक्झाम्पल ऑफ ईटेररीझम” ईशाने कहा.
” हमारे तो कंपनीका अस्तित्वही खतरेमें आया है ” कश्यपजी अपने चेहरेसे पसिना पोंछते हूए बोले.
” आप चिंता मत किजिए … पासवर्ड गुनाहगारसे कैसे उगलना है यह हमारा काम है ” इन्स्पेक्टरने कहा.
तभी दो पुलिस हथकडी पहने हूए सॅमको वहां लेकर आ गए. इन्स्पेक्टरने पुरा मसला समझमें आतेही उसे वापस यहां लानेके लिए अपने साथीयोंको पहलेही वायरलेसपर बताया था. सॅम धीमे मस्ती भरी चालसे मंद मंद मुस्कुराते हूए इन्स्पेक्टरकी तरफ चलने लगा.
” पासवर्ड क्या है ?…” इन्स्पेक्टरने उसे कडे स्वरमें पुछा.
इन्स्पेक्टरने ‘साम दाम दंड भेद’ से पहले ‘दंड’ का इस्तेमाल करनेकी ठान ली थी ऐसा दिख रहा था.
” जल्दी क्या है … पहले मेरी हथकडीतो खोलो … अभी और ५ घंटे बाकी है ” सॅम हसते हूए शांत स्वरमें बोला.
इन्स्पेक्टर गुस्सेसे उसे मारनेके लिए उसकी तरफ बढे वैसे सॅम चेहरेपर कुछभी डर ना दिखाते हूए वैसेही खडा रहते हूए, उनकी आखोंमें आखे डालकर बोला, ‘ अं हं… इस्न्पेक्टर यह गल्ती कभी ना करना … ऐसी गलती करोगे तो मै पासवर्ड तो दुंगा लेकिन वह पासवर्ड देनेके बाद … तुम्हारेपास जो ५ घंटे बाकि है वहभी नही रहेंगे….. पुरा डाटा वह पासवर्ड देनेके बाद तुरंत नष्ट हो जाएगा …”
इन्स्पेक्टरने उसपर उठाया हुवा हाथ पिछे लिया. उन्हे अहसास हो गया था की उसके बोलनेमें तथ्य था.
” खोलो मेरी हथकडी ” सॅमने फिरसे कहा.
इन्स्पेक्टरने उसे लेकर आए पुलिसको इशारा किया. उन्हे इशारा मिलतेही उन्होने चूपचाप उसकी हथकडी खोली. सॅमने अपनी खुली हूई कलाइयां एक के बाद एक दुसरे हाथमें लेकर घुमाई और वह अपने दोनो हाथ पिछे ले जाते हूए जम्हाई भरते हूए, उसे मिली हूई रिहाईका आनंद व्यक्त करते हूए बोला,
” हां अब देखो… कैसे खुला खुला लग रहा है “
” पासवर्ड क्या है ?” फिरसे इन्स्पेक्टरका कडा स्वर गुंजा.
इन्स्पेक्टर तुम्हे लगता है, की मै इतने आसानीसे और इतने जल्दी तुम्हे पासवर्ड बताऊंगा ?” सॅम इन्स्पेक्टरकी आंखोसे आंखे मिलाते हूए बोला.
” फिर तुम्हे और क्या चाहिए ?” इन्स्पेक्टरने अपना स्वर अबभी कडा रखते हूए पुछा.
” बस कुछ नही … सिर्फ मेरे पुरे रिहाईका इंतजाम .. ” सॅमने कहा.
” मतलब ?” इतनी देर से चुप था अस्तित्व पहली बार बोला.
” अरे हां … अच्छा हुवा तु बोला … तुझे मेरे साथ आना पडेगा … मुझे यहांसे दूर … जहां ये लोग फिरसे पहूंच नही पाए ऐसी जगह मुझे पहुचानेकी जिम्मेदारी अब तुम्हारी … और फिर वहांसे मै इन्हे मोबाईलसे वह पासवर्ड बताऊंगा … ” सॅमने कहा.
” हमें क्या मुरख समझ रखा है ?” इन्स्पेक्टर फिरसे गुर्राया.
” इन्स्पेक्टर यह वक्त अब कौन मुरख है या बननेवाला है यह तय करनेका नही है … संक्षिप्तमें कहा जाए तो … यू डोन्ट हॅव चॉईस… तुम्हे मेरे कहे अनुसार करनेके अलावा कोई चारा नही है ” सॅमने कहा.
इन्स्पेक्टरने एक बार अस्तित्व की तरफ तो दुसरी बार सॅमकी तरफ देखा.
” ठीक है ” अस्तित्व ने दृढतासे कहा.
इतनी बडी कंपनीका अस्तित्व और भविष्य खतरेमें आया था, इसलिए इन्स्पेक्टरको सॅमका सबकुछ सुननेके अलावा कोई रास्ता नही था. और उससे कितना नुकसान हो सकता है यह कश्यपजींके पसिनेसे लथपथ चेहरेपर साफ दिख रहा था. वैसे देखा जाए तो कश्यपजी बहुत हिम्मतवाले या यू कहा जाए की मोटी चमडीवाले आदमी थे. और उनके चेहरेपर और पुरे बदनमें पसिना आए मतलब कंपनीका अस्तित्व बुरी तरफ दाव पर लगा था यह स्पष्ट था.
सॅमने बताए अनुसार अस्तित्व भी उसके साथ उसे उस जगहसे दूर छोडनेके लिए तैयार हुवा था. इसलिए उसके साथ कौन जाएगा यह एक बडी गुथ्थी सुलझ गई थी. क्योंकी उसके साथ अकेला जाना खतरेसे खाली नही था, यहांतककी खुदकी जान जानेकाभी खतरा था और वह किसे अपनेसाथ कोई हथीयार ले जाने देगा इतना मुर्ख नही था. लेकिन अस्तित्व को उसके साथ अकेले भेजनेके लिए ईशाका दिल नही मान रहा था. वह वैसे कुछ बोली नही लेकिन उसके चेहरेसे सबकुछ झलक रहा था. एक तरफ कश्यपजींकी कंपनी उसकी वजहसेही खतरेमें आ गई थी और उसनेही अस्तित्व को भेजेनेके लिए इन्कार करना उसे ठीक नही लग रहा था. अतुलको जाल डालकर फांसनेके काममें कश्यपजींका बहुमोल योगदान था. और उन्होने उस बातके खतरेका अहसास होते हूए भी उसे पुरा सहयोग दिया था. और अब उनकी कंपनी खतरेमें आनेके बाद मुंह मोड लेना उसे जच नही रहा था.
अस्तित्व नें उसकी दुविधा जानते हूए उसे अपनी बाहोमें लेते हूए थपथपाकर कहा.
” डोन्ट वरी हनी… आय विल बी फाईन”
ईशा कुछभी बोली नही, लेकिन आखीर अपने दिलपर पत्थर रखकर वह उसे जाने देनेके लिए तैयार हो गई.
एक तरहसे इन्स्पेक्टर राणानेही उसे धिरज बंधाकर तैयार किया था.३९
कश्यपजी, ईशा, अस्तित्व और इन्स्पेक्टर राणा स्टेजसे उतरकर वहांसे निकल जानेके बाद हॉलमें इकठ्ठा हूए लोगोंको शांतीसे बाहर निकालनेका काम ऍन्करने कुछ पुलिसकी मदत लेते हूए खुब निभाया था. अब कंपनीके कंपाऊंडके अंदर पुलिस, कंपनीके लोग, अस्तित्व , ईशा और वह गुनाहगार के अतिरिक्त कोई नही था. कुछ लोगोंको इस पुरे मसलेकी खबर शायद लगी थी, क्योकी वे पुलिसकी डरकी वजहसे कंपाऊंडके बाहर जाकर इधर उधर छिपते हूए उधरही देख रहे थे. और वेभी लोग बहुत कम थे. इसलिए अब गुनाहगारको संभालनेमें या उसकी मांगे सुन लेनेमें इन्स्पेक्टर राणाको जादा तकलिफ नही हो रही थी. अगर लोग अबभी कंपाऊंडके अंदर या हॉलमें होते तो शायद इस गुनाहगारको संभालनेसे उन लोगोंको संभालना जादा तकलिफदेह होता था.
आखिर सॅमको उसके कहे अनुसार कही बहुत दुर ले जाकर छोडनेके लिए पुलिस राजी हो गई. सब लोग कंपनीके बिल्डींगके बाहर खुले मैदानमे इकठ्ठा हुए थे. मैदानमें पुलिसकी और बाकी बहुतसारी गाडीयां खडी थी. सॅमने वहां खडी पाच छे गाडीयोंके पास जाकर गौरसे देखा और उनमेंसे एक गाडीके छतपर थपथपाते हूए पुछा,
” यह गाडी किसकी है ?”.
वह कंपनीके एक ऑफिसरकी गाडी थी. वह ऑफिसर डरते हूएही सामने आते हूए बोला, ” मेरी है “
” चाबी दो ” सॅमने फरमान छोडा.
कश्यपजींने उस ऑफीसरकी तरफ देखते हूए आंखोसेही उसे वैसा करनेके लिए कहा. उस ऑफीसरने चुपचाप अपने पॅन्टकी जेबसे चाबी निकालकर सॅमके हवाले कर दी.
” हम इस गाडीसे जाएंगे ” सॅमने एलान किया.
अस्तित्व ने एक कडा कटाक्ष सॅमकी तरफ डालते हूए कहा, ” पहले तुम्हारा मोबाईल इधर दो “
सॅमने कुछ क्षण सोचा और अपना मोबाईल निकालकर अस्तित्व के पास देते हूए बोला, ” गुड मुव्ह”
अस्तित्व ने वह मोबाईल लेकर इन्स्पेक्टरके पास दिया.
” अब तुम्हारा मोबाईल इधर लाओ ” सॅमने कहा.
अस्तित्व ने अपना मोबाईल निकालकर सॅमके पास दिया. सॅमने गाडीकी डीक्की खोली और वह मोबाईल डिक्कीमें डाल दिया. लेकिन उसे क्या लगा क्या मालूम, उसने वह मोबाईल फिरसे डीक्कीसे बाहर निकाला और उसे ऑफ कर फिरसे डिक्कीमें डालते हूए डिक्की बंद की.
गुड मुव्ह” अब अस्तित्व की बारी थी.
सॅम उसकी तरफ देखकर मक्कारकी तरह मुस्कुराते हूए बोला, ” हां अब सब ठीक है “
” हू विल ड्राईव्ह द व्हेईकल?” अस्तित्व ने गाडीके पास जाते हूए पुछा.
” ऑफ कोर्स मी” सॅमने कहा और गाडीके ड्राईव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा.
लेकिन अचानक सॅम बिचमेंही रुकते हूए बोला , “वेट’
अस्तित्व भी रुक गया. सॅम मुस्कुराते हूए अस्तित्व के पास गया और उसकी उपरसे निचेतक पुरी तलाशी लेने लगा. शायद वह उसके पास कोई हथीयार है क्या यह देख रहा था.
” हां अब ठीक है ” सॅम ड्रायव्हींग सिटकी तरफ जाने लगा वैसे अस्तित्व ने कहा,
” वेट… दॅट अप्लाईज टू यू टू”
अस्तित्व नेभी सॅमके पास जाकर उसकी पुरी तलाशी ली.
” हां अब ठीक है ” अस्तित्व ने कहा और गाडीकी तरफ जाने लगा वैसे सॅम इन्स्पेक्टरकी तरफ देखते हूए बोला,
” नही अभीभी सब ठीक नही है … “
इन्सपेक्टर कुछ ना बोलते हूए सॅमकी तरफ देखने लगा.
” इन्स्पेक्टर अगर मुझे किसीभी क्षण खयालमें आगया की हमारा पिछा हो रहा है … या हमारी जानकारी कही भेजी जा रही है … तो ध्यानमें रखो … मै पासवर्ड तो दुंगा … लेकिन वह गलत पासवर्ड होगा … जो दिए बराबर तुम्हारे कंपनीका सारा डाटा तुरंत नष्ट हो जाएगा … समझे ?” सॅमने कडे स्वरमें ताकिद दी.
” डोन्ट वरी यू विल नॉटबी … फालोड… प्रोव्हायडेड यू गिव्ह अस द करेक्ट पासवर्ड…” इन्स्पेक्टरने कहा.
” दट्स लाईक अ गुड बॉय” सॅम गाडीके ड्रायव्हीग सिटपर बैठते हूए बोला.
सॅमने गाडी शुरु करके अस्तित्व की तरफ कडी नजरसे देखा. अस्तित्व उसकी बगलवाले सिटपर चुपचाप आकर बैठ गया और ईशाकी तरफ देखते हूए उसने गाडीका दरवाजा खिंच लिया.
सॅमने गाडी रेस की और कंपनीके कंपाऊंडके बाहर ले जाकर तेजीसे रास्तेपर दौडाई.
सॅम अब अस्तित्व के एकदम सामने खडा होकर उसकी आखोंमें आखे डालकर देखते हूए बोला,
” तुम्हे पासवर्डही चाहिए ना ?”
” हां … और बहभी डाटा डिलीट होनेके पहले ” अस्तित्व फिरसे चिढकर ताना मारते हूए बोला.
” अरे हां … वह डाटा डिलीट होनेके बाद पासवर्डकी क्या जरुरत ?” सॅम अपने आपसेही जोरसे हंस दिया.
और एकदम अपनी हंसी रोककर बोला, ” लेकिन पहले तुम्हारे पासका हथीयार मेरे हवाले कर दो “
अस्तित्व ने उसकी तरफ चौंककर देखते हूए पुछा, ” हथीयार ?… मेरे पास कोई हथीयार नही .. तुमनेही तो निकलते वक्त मेरी तलाशी ली थी. “
” मि. अस्तित्व … मुझे क्या इतना बेवकुफ समझते हो ?… ” सॅम मोबाईल लगाते हूए बोला. अस्तित्व कुछ नही बोला.
सॅमका मोबाईल लगा था और उधरसे इन्स्पेक्टर मोबाईलपर थे. ” सॅम पासवर्ड क्या है ?” उन्होने फोन लगतेही पुछा.
” इन्स्पेक्टर थोडा धीरज रखो … पहले इधरका एक काम निपट लूं और फिर तुम्हे पासवर्ड बताता हूं ” सॅम फोनपर बोला और उसने चलता हुवा मोबाईलही गाडीके बोनेटपर रख दिया.
” मैने सुना है की आजकल तुम्हारी पी एच डी चल रही है ” सॅमने अस्तित्व से पुछा.
फिरभी अस्तित्व कुछ नही बोला.
” मुझे एक बात नही समझमें आती, इतनी अमीर लडकीको फांसनेके बाद तुम्हे पिएचडीकी क्या जरुरत है ?” सॅमने आगे पुछा.
अस्तित्व कुछभी बोलनेके लिए तैयार नही था, सच कहे तो वह बोलनेके मन:स्थितीमें नही था.
” तुम्हारे पी एच डी का सब्जेक्ट क्या है ?” सॅमने एकदम गंभिर होते हूए पुछा.
अस्तित्व उसके इस असंबंध सवालको कुछ जवाब देना नही चाहता था.
” तुम्हारे पी एच डी का सब्जेक्ट क्या है ?” सॅमने अब कडे स्वरमें पुछा.
अस्तित्व ने पहले उसकी आखोंमे देखा. वह इस सवालके बारेमें सिरीयस दिख रहा था.
” अनकन्व्हेन्शनल वेपन्स” अस्तित्व ने कंधे उचकाकर जवाब दिया.
” अनकन्व्हेन्शनल वेपन्स … हूं … तुम्हारे जुते बताओ.. निचेसे ” सॅमने मांग की.
अस्तित्व को उसके सवालका उद्देश अब पता चल चुका था. उसे अबभी उसके पास कोई हथीयार होनेकी आशंका थी. अस्तित्व ने अपना दाया जुता वैसेही पैरमें रखते हूए उलटा कर बताया. सॅमने गौरसे देखा. वहां कुछ होनेके निशान तो नही दिख रहे थे.
” अब बाया बताओ ” सॅमने फिरसे आदेश दिया.
अस्तित्व ने थोडी हिचकिचाहट जताई तो वह चिल्लाया, ” कम ऑन क्वीक”.
अस्तित्व ने बाया जुताभी उलटा कर बताया. सॅमने गौरसे देखा. वहांभी कुछ नही था. लेकिन अब सॅम सोचमें पड गया. उसे अस्तित्व के पास कुछ हथीयार होनेका पुरा विश्वास था.
” रुको … हात उपर करो …” सॅम उसके पास जाते हूए बोला.
अस्तित्व ने दोनो हाथ उपर किए. और सॅम उसके जेबसे एक एक सामान निकालकर बोनेटपर रखने लगा. पहले पॅन्टके जेबसे और फिर शर्टके जेबसे सब सामान निकालकर सॅमने गाडीके बोनेटपर रख दिया.
उस सामानमें कुछ लोहेके छोटे छोटे टूकडे थे. सॅम उन टूकडोंकी तरफ गौरसे देखते हूए बोला, ” यह क्या है ?”
” कुछ नही .. मेरे रिसर्चका सामान ” अस्तित्व ने कहा.
” अच्छा!” सॅम अविश्वासके साथ बोला. .
सॅम अब वे सारे टूकडे एक एक करते हूए उलट पुलटकर निहारने लगा. उन सारे टूकडोंमे उसे एक टूकडा थोडा अलग लगा. वह उसने उठाया और वह उसे और गौरसे निहारकर देखने लगा. उस टूकडेके एक तरफ लाल बटन जैसा कुछ तो था. उसकी तरफ अस्तित्व का ध्यान आकर्षीत करते हूए सॅम बोला,
” यह क्या है ऐसा ?”
अस्तित्व कुछ नही बोला. सॅमने वह टूकडा उलट पुलटकर देखते हूए वह लाल बटन दबाया. और क्या आश्चर्य गाडीके बोनेटपर रखे सब टूकडोंमे अब हरकत दिखने लगी थी. और वे किसी चुंबककी तरह एक दुसरेसे चिपकने लगे. जब सारे टूकडे चुंबककी तरह एक दुसरेसे चिपक गए. उसमेंसे एक बंदूककी तरह वस्तू तैयार हो गई.
” अच्छा तो यह ऐसा है ?…” सॅम आश्चर्यसे बोला, “‘ मेरा अंदेशा कभी गलत नही होता … मुझे पता था की तुम्हारे पास कोईना कोई हथीयारतो होनाही चाहिए “
सॅमने वह बंदूक उठाकर उलट पुलटकर देखी.
” स्मार्ट व्हेरी स्मार्ट… अस्तित्व यू आर जिनियस … बट ओन्ली इंटॆलेक्चूअली … नॉट प्रोफेशन्ली” सॅम अजीब तरहके मुस्कुराहटके साथ बोला.
सॅम अबभी वह छोटे छोटे लोहेके टूकडोंसे बनी बंदूक हाथमें लेकर उलट पुलटकर देखते हूए अस्तित्व के इर्द गिर्द चल रहा था. उसने अस्तित्व की तरफ अर्थपुर्ण ढंगसे मुस्कुराते हूए एक कटाक्ष टाकला. उसका हंसना ‘ अब कैसे आया उट पहाड के निचे’ इस तरह का था. अस्तित्व चुपचाप अपने जगह खडा था. उसके इर्द गिर्द चलते चलते उसने अपने कलाईपर बंधे घडीमें देखा ,
” अबभी एक मिनट बाकी है “
For Latest hindi sex stories read indisexstories.com only