२५
शामका वक्त था. सॅम एक कमरेमें कॉम्प्यूटरपर बैठा हुवा था. उस कमरेसे बगलकेही कमरेमें बंद किया हुवा अस्तित्व दिख रहा था. लेकिन अस्तित्व को उसके कमरेसे सॅमके कमरेमेंका कुछ नही दिख रहा था. सॅमको रातदिन कॉम्प्यूटरके सिवा कुछ सुझताही न था. रघु अपना एक्सरसाईज वैगेरे निपटाकर पसिना पोंछते हूएही अतुलके पास जाकर बैठ गया.
” क्यों लडकी क्या बोलती है? … उसे पैसा प्यारा है या अपनी इज्जत? ” रघुने पुछा.
रघुको अपने पास आकर बैठा हुवा पाकर अतुल अस्तित्व का मेलबॉक्स खोलते हूए बोला,
” देखो तुम्हे एक मजेकी चिज दिखाता हूं “
सॅमने अस्तित्व के मेलबॉक्समेंसे एक मेल खोली.
” देखोतो इस मेलमें ईशाने क्या लिखा हुवा है.”
दोनो पढने लगे. मेल पढनेके बाद दोनो उनके कमरेको और अस्तित्व के कमरेंको अलक करते कांचसे अस्तित्व की तरफ देखने लगे.
“देखोतो इस मेलमें यह ईशा …
अस्तित्व को समझानेकी कोशीश कर रही है…
वह सोच रही होगी..
कबूतरकी एकदमसे कैसे मर गयी सारी वफाए…
अब इसको क्या बताएं, कैसे समझाए
कि बेचारा इधर पिंजरेमे बंधा तडप रहा है “
फिरसे अस्तित्व की तरफ देखते हूए उन्होने एक दुसरेके हाथसे ताली बजाई और वे जोरसे हंसने लगे. दोनोंका हंसना थमनेके बाद रघुने एक आशंका उपस्थित की,
” यह अस्तित्व अपने होस्टेलसे अचानक गायब होनेसे वहा कुछ हंगामा तो नही खडा होगा ?”
” अरे हां … अच्छा हुवा तुमने याद दिलाया … उसके होस्टेलमें रह रहे उसके किसी दोस्तको मेल कर उसका बंदोबस्त करता हुं ” सॅमने कहा.
सॅम मेल टाईप करने लगा और टाईप करते हूए बोला, ” लेकिन रघु याद रखो … इसके आगेही असली खतरा है … इसके आगे हमे सारी मेल्स अलग अलग सायबर कॅफेमें जाकर भेजनी पडेगी … नही तो ट्रेस होनेका बडा खतरा है … “
…. कॉम्प्यूटरपर मेल आनेका बझर बजतेही ईशाने अपना मेलबॉक्स खोला. उसे एक नई मेल आयी हूई दिखाई दी. वह मेल उसने भेजे स्निफर प्रोग्रॅमकीही थी. उसने झटसे वह मेल खोली और
” यस्स!” उसके मुंहसे जितभरे उद्गार निकले.
उसने भेजे स्निफरने अपना काम सही सही निभाया था.
उसने बिजलीके गतीसे मेल सॉफ्टवेअर ओपन किया और …
” यह उसका मेल आयडी और यह उसका पासवर्ड” कहते हूए अस्तित्व का मेल ऍड्रेस टाईप करते हूए उस प्रोग्रॅमको अस्तित्व के मेलका पासवर्ड दिया.
ईशाने उसका मेल अकाऊंट खोलतेही और की बोर्डकी दो चार बटन्स और दोन चार माऊस क्लीक्स दबाए. और दोनोभी कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी.
” ओ माय गॉड … आय जस्ट कान्ट बिलीव्ह” ईशाके खुले मुंहसे निकला.
निकिता कभी मॉनिटरकी तरफ तो कभी ईशाके आश्चर्यसे खुले मुंहकी तरफ देख रही थी.
” निकिता यह देखो अस्तित्व के मेलबॉक्समें … देखो यह मेल … जो है तो मेरे नामकी पर मैने भेजी नही है … ” ” मतलब ?” निकिताने पुछा.
” मतलब मै और अस्तित्व के अलावा दुसरा कोई है जो यह मेल अकाऊंटस खोल रहा है … और हो सकता है वही तिसरा आदमी जो मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है … लेकिन वह तिसरा है कौन ?”२६
कॉन्फरंस रुममें ईशा, इन्स्पेक्टर राणा और निकिता बैठे हूए थे. ईशा इन्स्पेक्टर और निकितासे इसी केसके सिलसिलेमें कुछ बाते कर रही थी. सब कुछ बयान होनेके बाद ईशाने एक लंबी सांस ली और आगे कहा,
” तो पुरी कहानी इस प्रकार है …”
ईशाने फिरसे एकबार सामने बैठे इन्स्पेक्टर राणा और निकिताकी तरफ देखा.
” राणा अंकल… अब मुझे डर … वह ब्लॅकमेलर फोटो इंटरनेटपर डालेगा क्या? इस बात का नही है … मुझे असली चिंता है अस्तित्व की … शायद अस्तित्व उनके कब्जेमें है … उसके जानको खतरा तो नही ?” ईशाने अपना डर जाहिर किया.
” उसकी जो मेल आई थी उसे हमारे एक्स्पर्टसने ट्रेस करनेकी कोशीश की थी … एकज्याट लोकेशन और कॉम्प्यूटरका तो कुछ पता नही चला … लेकिन इतना जरुर पता चला की मेल मुंबईसे कहीसे की गई होगी.”
” इसका मतलब पैसे कहां देना है और कैसे देना है यह बतानेवाली मेलभी मुंबईसेही आएगी ” इतनी देरसे चुप्पी साधी हूई निकिता पहली बार बोली.
” शायद हां … या शायद ना भी … यह वह क्रिमीनल कितना पहूंचा है इसपर निर्भर करेगा … लेकिन इसबार हम पहलेसेही तयार होनेसे, मेल कौनसे गांवसे, उस गांवके किस जगहसे और कौनसे कॉम्प्यूटरसे आई यह हमे पता चल सकेगा … ” इन्सपेक्टरने कहा.
” इसका मतलब हमारे पास उसके अगले मेलका इंतजार करनेके अलावा दुसरा कोई चारा नही है … ” ईशा निराश होकर बोली.
” हां … लगता तो ऐसाही है .. ” इन्स्पेक्टरभी सोचते हूए सारी संभावनाए जांचते हूए बोला.
२७
एक पुरानी कार एक सायबर कॅफेके पास आकर रुकी. गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर रघु बैठा हूवा था और उसके बगलके सिटपर सॅम बैठा हूवा था. शायद किसीको शक ना हो इसलिए उन्होने वहां आनेके लिए और अगले सारे कामके लिए उस पुरानी कारको चूना था. गाडी रुकतेही गाडीसे सॅम निचे उतरा.
” तूम अब पैसे लानेके लिए निकल जावो … मै मेलपर उसे जगहकी सारी जानकारी देता हूं … और सुनो … जरा संभलकर … तुम्हे काफी अंतर तय करना है ” सॅमने उतरते हूए रघुसे कहा.
” यू डोन्ट वरी… तूम एकदम बिनधास्त रहो ” रघु गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर बैठे हूए बोला.
” अच्छा पैसे मिलनेके बाद उस पंटरका क्या करना है ” रघुने कुछ सोचते हूए पुछा. उसका इशारा अस्तित्व की तरफ था.
” उसका क्या करना है .. यह बादमें देखेंगे …. लेकिन वह अपनी महबुबाके लिए शहीद होगा इसकी जादा संभावना पकडकर हमे चलना होगा… क्योंकी रास्तेसे चलते हूए सामने आए गढ्ढोंको भरते हूए आगे जाना जरुरी होता है … नही तो वापस आते हूए उसी गढ्ढोंमे फिसलकर गिरनेकी संभावना जादा होती है.” सॅम उतरते हूए गुढतासे हसते हूए रघुकी तरफ देखते हूए बोला.
रघुभी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया.
सॅम गाडीसे उतरा और सायबर कॅफेकी तरफ निकल पडा. रघुने गाडी आगे बढाई और अगले चौराहेपर मुडकर वह तेजीसे आगे निकल गया.
सॅम सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठा था. उसने चॅटींग सेशन खोला और ईशाभी चाटींग रुममें है यह देखकर उससे चॅटींग शुरु की –
” हाय मिस. ईशा”
उधर सॅमने भेजा हुवा मेसेस ईशाके मॉनिटरपर अवतरीत हुवा. और तभी निकिता ईशाके कॅबिनमें आ गई. निकिताको देखतेही ईशाने उसे ‘उसकाही मेसेज है’ ऐसा इशारा किया. इशारा मिलतेही निकिता तुरंत कॅबिनके बाहर गई. बाहर जाकर निकिता ईशाके ऑफीसके बगलमें स्थित एक रुममें चली गई. उस रुममें इन्स्पेक्टर राणा और, और दो लोग एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. निकिताने कमरेमें प्रवेश करतेही कहा –
” सर उसका मेसेज आया है “
वे तिनों एकदम सतर्क होकर, सिधे बैठकर कॉम्प्यूटरकी तरफ देखने लगे.
” कम ऑन सुरज ट्रेस द ब्लडी बास्टर्ड ” उन दोनोंको उत्साहीत करनेके उद्देशसे इन्सपेक्टरने कहा.
” सर ही इज ट्रेस्ड … द कॉल इज अगेन फ्रॉम मुंबई … ऍन्ड सी द आय पी ऍड्रेस…”
इन्स्पेक्टरने मॉनिटरकी तरफ देखा और तुरंत मोबाईल लगाया,
” हॅलो रोहन… हमने उस ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है … उसे अभीभी ईशाने चॅटींगपर बिझी रखा है … तूम वहां मुंबईमें उसके सही सही ठिकानेका पता लगाओ … ऍन्ड सी दॅट द फेलो शुड नॉट एस्केप… हां यह लो ब्लॅकमेलरका आय पी ऍड्रेस ….”
अबभी ईशाको ब्लॅकमेलरका मेसेज ‘ हाय मिस ईशा ‘ उसके चॅटींग विंडोमें दिख रहा था. वह अब मनही मन उसे जादासे जादा वक्त तक चॅटींगपर कैसे बिझी रखा जाए ताकी पुलिस उसे ट्रेस कर पकड सकें, इसके बारेमें सोच रही थी. तभी अगला मेसेज आया,
‘ ईशा प्लीज ऍकनॉलेज युवर प्रेसेन्स ‘
अब ईशाके पास कुछतो मेसेजे भेजनेके अलावा कोई चारा नही था, नही तो वह डिस्कनेक्ट होनेका डर था.
‘ हॅलो.. ‘ उसने मेसेज टाईप कर भेजा.
इधर इन्स्पेक्टरने फिरसे मुंबईको फोन लगाया.
” रोहन … कुछ पता चला?”
” यस सर … द एरीया वुई हॅड जस्ट फाईन्ड आऊट… इट्स ठाणे… बट द एकज्याट स्पॉट वुई आर ट्राईंग टू लोकेट…” उधरसे राज बोल रहा था.
” कमॉन डू समथींग ऍन्ड फाईन्ड आऊट क्वीकली” इन्स्पेक्टरने कहा.
उधर ईशाको ब्लॅकमेलरका अगला मेसेज आया –
‘ मै मेलमें सारी डिटेल्स भेज रहा हूं … ‘
ईशाको लगा की उसे सारी डिटेल्स चॅटींगपरही भेजनेके लिए कहा जाए … लेकिन नही उसे आशंका होगी …
लेकिन वह अब डिस्कनेक्ट कर सकता है … उससे संभाषण जारी रखना आवश्यक था….
अचानक उसे कुछ सुझा और उसने मेसेज टाईप किया,
‘ लेकिन ५० लाख रुपए देनेके बादभी तुम मुझे ब्लॅकमेल नही करोगे इसकी क्या गॅरंटी ?’
उधर इन्सपेक्टरको चैन नही पड रहा था. उन्होने फिरसे मुंबई रोहनको फोन लगाया,
” रोहन .. कुछ पता चला ?”
” सर वुई हॅव फाऊंड आऊट द एकज्याट लोकेशन ऍन्ड दी एक्सॅट स्पॉट…” उधरसे राजने कहा.
” गुड व्हेरी गुड… नाऊ क्वीकली इन्स्ट्रक्ट द ठाणे पुलिस टू रेड द स्पॉट … ” इन्स्पेक्टरने जोशके साथ कहा.
” यस सर” उधरसे प्रतिक्रीया आ गई …
ईशा अब सोच रही थी की वह उसे चटींगपर बातोंमें उलझानेमें कामयाब रही की नही, क्योंकी अबतक उसका कोई रिप्लाय नही आया था.
तभी उसका रिप्लाय आ गया,
‘ देखो … यह दुनिया भरोसेपर चलती है … तुम्हे मुझपर भरोसा करनाही पडेगा … और तुम्हारे पास उसके अलावा दुसरा कोई चाराभी नही है ‘
उसके मायूस चेहरेपर खुशीकी एक लहर दौड गई, क्योंकी कमसे कम अबतक वह उसे बातोंमें उलझानेमें कामयाब रही थी.
अब आगे उसे और उलझानेके लिए क्या मेसेज भेजा जाए, वह सोच रही थी और उसने कुछ टाईपभी किया. लेकिन तभी ब्लॅकमेलरका अगला मेसेज आ गया –
‘ ओके देन बाय… दिस इज अवर लास्ट कन्व्हरसेशन… टेक केअर… तुम्हारा … और सिर्फ तुम्हारा अस्तित्व …’
वह और कुछ टाईप कर उसे भेजती उससे पहलेही वह चॅटींग रुमसे गायब होगया.
वह इतने जल्दी चॅटींग खत्म करेगा ऐसा उसे अंदेशा नही था. ईशा तुरंत अपने कुर्सीसे उठकर जल्दी जल्दी अपने कॅबिनसे बाहर निकल गई. बाहर आकर सिधे वह बगलके रुममे, जहां इन्स्पेक्टर और दो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस बैठे थे वहा चली गई. ईशा वहा पहूंचतेही वे ईशाके डरसे सहमें चेहरेकी तरफ देखने लगे थे.
” अंकल उसने अभी अभी चॅटींग शेशन क्लोज किया है … लेकिन मुझे यकिन है की वह अबभी इंटरनेटपर कनेक्टेड होगा और मेल लिख रहा होगा ..” ईशाने कहा.
” डोन्ट वरी… ठाणे पुलिस हॅव ऑलरेडी स्टार्टेड टू रेड द लोकेशन… ” इन्स्पेक्टरने कहा.२८
पुलिसकी एक गाडी आकर एक सायबर कॅफेके सामने रुकी. गाडीसे एक इन्स्पेक्टर चार पाच हवालदारोंको साथमें लेकर सायबर कॅफेकी तरफ चलने लगा. वे हवालदार उसके अगले आदेशकी राह देखते हूए उसके पिछे पिछे चलने लगे. इन्स्पेक्टर सायबर कॅफेमें घूस गया और उसके पिछे वे चार हवालदारभी कॅफेमें घुस गए. पहले वे रिसेप्शन काऊंटरपर रुके. रिसेप्शन काऊंटरपर बैठा स्टाफ एकदम इतने पुलिसको देखकर हडबडाकर उठ खडा हूवा.
” यस सर… ” उस स्टाफके मुंहसे मुश्कीलसे निकला.
इन्स्पेक्टरने उससे कुछ ना बोलते हूए उसके सामने रखा लॉग रजिस्टर उठाया और उसमें वह कुछ खोजनेकी कोशीश करने लगा.
” क्या हुवा साब?” वह स्टाफ फिरसे हिम्मत करके बोला.
इन्स्पेक्टरने गुस्सेसे सिर्फ उसकी तरफ देखा, वैसे वह सहम गया और चुप होगया. इन्स्पेक्टर लॉगबुकमें एक एक एन्ट्री ठीकसे देखने लगा. एक जगह इन्स्पेक्टरकी रजीस्टरपर दौडती उंगली रुक गई और आंखोकी पुतलीयांभी स्थिर हो गई. उस एन्ट्रीमें नाम के रकानेमें ‘अस्तित्व जाधव’ ऐसा लिखा हुवा था. इन्स्पेक्टर मन ही मन मुस्कुराया. उसे शायद ब्लॅकमेलरने सब सावधानी बरतनेके बावजुद वह अब पकडा जाने वाला है इस बातकी हंसी आ रही होगी. इन्स्पेक्टर उस एन्ट्रीके सामने दी सारी जानकारी पढते हूए बोला,
” सतरा नंबर किधर है ?”
” आवो मेरे साथ… मै तुम्हे उधर ले जाता हूं ” वह स्टाफ इन्स्पेक्टरको एक तरफ ले जाते हुए बोला. वह सायबर कॅफेका स्टाफ आगे आगे और इन्स्पेक्टर अपने साथीयोंके साथ उसके पिछे पिछे चल रहे थे.
चलते हूए एक जगह रुककर उस स्टाफने एक बंद कॅबिनका दरवाजा धकेलकर खोला. सब पुलिस अब गुनाहगारको पकडनेके तैयारीमें थे. लेकिन कॅबिन खोलतेही जब उन्होने कॅबिनके अंदर देखा, उनके चेहरे खुलेकी खुलेही रह गए. क्योंकी कॅबिन खाली थी. कॅबिनमें कॉम्प्यूटर शुरु था लेकिन कॅबिनमें कोई नही था. इन्स्पेक्टरने चारो हवालदारोंको कॅफेमें चारो तरफ उस गुनाहगारको ढुंढनेके लिए भेजा.
इन्स्पेक्टर और चारो हवालदारोंने काफी समय तक सारा कॅफे और कॅफेके आसपासका इलाका छान मारा . लेकिन कुछभी हाथ नही लगा. गुनाहगार अब उनके कब्जेमें आनेवाला नही है इसकी तसल्ली होतेही इन्स्पेक्टरने मोबाईल लगाया,
” सर आय थींक वुई वेअर लेट बाय फ्यू सेकंड्स … हि हॅज एस्केप्ड… आय ऍम सॉरी… हम उसे पकड नही पाए “
इन्स्पेक्टर राणा मोबाईलपर बोल रहे थे और उनके आसपास ईशा, निकिता और वे दो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस बडी आशासे क्या हुवा यह सुननेका प्रयास कर रहे थे
” शिट … एस्केप्ड… ” इन्स्पेक्टर झुंझलाए.
और कुछ पल कुछतो सोचनेजैसा करनेके बाद वह मोबाईलपर बोले,
” अब एक काम करो … वहांसे उसके फिंगर प्रिट्स लो … जिस कॉम्प्यूटरपर वह बैठा था उसके फोटोग्राफ्स लो … ऍन्ड सी द हिस्ट्री लॉग ऑफ द कॉम्प्यूटर”
” यस सर ” उधरसे जवाब आया.
इन्सपेक्टरने मोबाईल डिस्कनेक्ट किया और निराशासे ईशाकी तरफ देखते हूए उसे किस तरह कहां जाए यह सोचने लगे.
” द ब्लडी बास्टर्ड हॅज एस्केप्ड…” उन्होने कहा.
लेकिन उनके बातचित और हावभावसे कमरेमें उपस्थित सारे लोग यह बात पहलेही समझ चुके थे.२९
जंगलमें सब तरफ सुखे पत्ते फैले हूए थे. उन सुखे पत्तोकों रौंदते हूए एक काले शिशे चढाई हूई कार धीरे धीरे उस जंगलसे गुजरने लगी. वह कार जब जंगलसे गुजर रही थी तब उन सुखे पत्तोंके रौंदनेसे एक अजिबसी आवाज उस जंगलके शांतीमे बाधा डाल रही थी. आखिर एक पेडके पास वह कार रुक गई. उस कारके ड्रायव्हर सिटवाला शिशा धीरे धीरे निचे खिसकने लगा और अब वहां ड्रायव्हीग सिटपर बैठी हुई काला चष्मा लगाई हूई ईशा दिखने लगी. उसने एक पेडपर लगाई लाल निशानी देखी और उसने बगलके सिटपर रखी एक ब्रिफकेस उठाकर खिडकीसे उस निशान लगाए पेढकी तरफ फेंक दी. ब्रिफकेसका ‘धप्प’ ऐसा आवाज आ गया. उसने फिरसे अपनी पैनी नजर चारो तरफ घुमाई और अपनी कार स्टार्ट कर वह वहांसे चली गई.
जंगलसे बाहर निकलकर ईशाकी कार अब प्रमुख रस्तेपर आ गई थी. तभी ईशाका मोबाईल बजा.
ईशाने डिस्प्ले ना देखते हूएही वह अटेंड किया, ” हॅलो…”
” हॅलो… मै इन्स्पेक्टर राणा बोल रहा हूं …” उधरसे आवाज आया.
” यस अंकल..”
” पैसे कब और कहां भेजने है इसके बारेमें ब्लॅकमेलरकी मेल तुम्हे आईही होगी ” इन्स्पेक्टर राणाने पुछा.
” हां आई थी .. सच कहूं तो मै अब वहां पैसे पहूंचाकर वापसही आ रही हूं ” ईशाने कहा.
” व्हॉट… ” इन्स्पेक्टरके स्वरमें आश्चर्य स्पष्ट झलक रहा था.
“आय जस्ट कांन्ट बिलीव्ह धीस… तुमने मुझे बताया नही … हम जरुर कुछ कर सकते थे. ” इन्स्पेक्टरने आगे कहा.
” नही अंकल अब यहां मुझे पुलिसका शामिल होना नही चाहिए था . … एक बार तो पुलिस पुरी तरहसे नाकामयाब रही है … यहां मै चान्स लेना नही चाहती थी … और मुझे चिंता सिर्फ अस्तित्व की है … पैसे जानेका अफसोस मुझे नही … बस ब्लकमेलरको पैसे मिलनेके बाद वह अस्तित्व को छोड देगा … और पुरा मसलाही खत्म हो जाएगा ” ईशाने कहा.
” मै प्रार्थाना करता हूं की तूम जैसा सोचती हो… सब वैसाही हो … लेकिन मुझे चिंता होती है तो बस इस बातकी की अगर वैसा नही हुवा तो ?” इन्स्पेक्टरने कहा.
” मतलब ?” ईशाने पुछा.
” मतलब … तुमने पैसे देकरभी उसने अगर अस्तित्व को नही छोडा तो ?” इन्स्पेक्टरने अपना डर जाहिर किया.
ईशा एकदम सोचमें पड गई.३०
सॅम और रघु उस काले ब्रिफकेसके सामने बैठे थे. उनके चेहरेपर खुशी झलक रही थी. आखिर सॅमने अपने आपको ना रोक पाकर वह बॅग खोली. दोनो आंखे फाडकर उन पैसोंकी तरफ देख रहे थे. सॅमने उस बॅगसे एक पैसोंका बंडल उठाया, अपने नाकके पास लिया और वह उस बंडलसे अपनी उंगली फेरते हूए उस नोटोंकी खुशबु लेने लगा.
” देख तो कितनी अच्छी खुशबु आ रही है … ” सॅमने कहा.
रघुनेभी एक बंडल उठाकर उसकी खुशबु लेते हुए वह बोला,
” और देखोतो अपने मेहनतके कमाईके पैसेकी खुशबु कुछ औरही आती है … नही?”
दोनोंने हंसते हूए एक दुसरेकी जोरसे ताली ली.
” इतने सारे पैसे वहभी एकसाथ… मै तो पहली बार देख रहा हूं ” रघुने कहा.
दोनों उस बैगमें हाथ डालकर सारे बंडल्स उलट पुलटकर देखने लगे.
” नोटोंके बंडल्स देखते हूए रघु बिचमेही रुककर बोला, ” अब उस पंटरका क्या करना है … उसे छोड देना है ? “
” छोड देना है ? … कहीं तुम पागल तो नही हूए ? … अरे अब तो शुरवात हूई है … मुर्गीने अंडे देनेकी अबतो शुरवात हुई है ” सॅम बिभत्स हास्य धारण करते हूए बोला.
३१
ईशा अपने कुर्सीपर बैठकर कुछ ऑफीशियल कागजाद उलट पुलटकर देख रही थी और उसके बगलमेंही निकिता कॉम्प्यूटरपर बैठकर कुछ ऑफीशियल काम कर रही थी. तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा. ईशाने पलटकर मॉनिटरकी तरफ देखा.
” उसकाही मेसेज है ” निकिताने बताया.
ईशा उठकर कॉम्प्यूटरके पास गई. उसके आतेही कॉम्प्यूटरके सामनेसे उठकर उसने ईशाको जगह दे दी.
” जा जल्दी जा ‘ ईशाने कॉम्प्यूटरके सामने बैठते हूए निकितासे कहा.
निकिता तुरंत वहांसे निकलकर कॅबिनके बाहर चली गई. ईशाके कॅबिनसे बाहर आकर निकिता सीधे बगलके रुममें चली गई. वहां इन्स्पेक्टर राणा और वे दोनो कॉम्प्यूटर एक्स्पर्टस एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठे थे. निकिता जल्दी जल्दी उनके पास गई. उसकी आहट होतेही तिनो पलटकर उसकी तरफ मुडकर देखने लगे.
” जैसे आपने बोला था वैसाही हो गया … ब्लॅकमेलरका फिरसे मेसेज आ गया है … ” निकिता जल्दी जल्दी आनेसे सांस फुले स्थितीमें बोली.
वे दोनों कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस कुछ ना बोलते हूए अपने काममें लग गए.
” सुरज… कम ऑन… इस बार किसीभी हालमें साला छुटना नही चाहिए…. “
” सर ऍज बिफोर दिस टाईम ऑल्सो हि इज कॉलींग फ्रॉम मुंबई… और उसका आय पी ऍड्रेस देखिए …” एक्सपर्टने सॉफ्टवेअरके कुछ रिपोर्ट्स देखते हूए कहा.
वह बोलनेके पहलेही इन्सपेक्टरने मुंबईको इन्स्पेक्टर रोहनको फोन लगाया,
” हां रोहन … फिरसे हमने ब्लॅकमेलरको ट्रेस किया है … अबभी वह च्याटींगही कर रहा है … तुम उसकी एकज्याट लोकेशनका पता करो … ऍन्ड सी दॅट दिस टाईम द बास्टर्ड शुड नॉट एस्केप… और हां उसका आय पी ऍड्रेस लिख लो …”
सॅम सायबर कॅफेमें एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर चॅटींगमें उलझा हुवा था.
” मिस ईशा… हाय कैसी हो ?” उसने मेसेज टाईप कर भेजा.
काफी समय हो गया था फिरभी उसका जवाब नही आया था. लेकिन उसका नामतो चॅटींगमें दिख रहा था.
कॉम्प्यूटर खुला छोडकर कही गई तो नही साली…
या फिर अपना अचानक मेसेज आनेसे गडबडा गई होगी …
उसने सोचा. अबभी उसका मेसेज आया नही था. गुस्सेसे उसका चेहरा लाल होने लगा था. तभी उधरसे मेसेज आ गया , ” ठीक हूं “
तब कहा सॅमने चैनकी सांस ली. वह अब अगला मेसेज, जो उसके लिए बहुत महत्वपुर्ण था, टाईप करने लगा,
” तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है … लेकिन क्या करे? … पैसा यह साली चिजही ऐसी है … कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है … मुझे इस बार २० लाख रुपएकी सख्त जरुरत है …”
सॅमने टाईप कर मेसेज भेजभी दिया.
” अभी तो तुम्हे ५० लाख रुपए दिए थे मैने … अब मेरे पास पैसे नही है …” उधरसे ईशाका दोटूक जवाब आया.
” बस यह आखरी बार … क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं ” अस्तित्व ने कुछ सोचकर टाईप किया और ‘सेंड’ बटनपर क्लिक किया.
” तुम परदेस जावो … या और कही जावो … मुझे उससे कुछ लेना देना नही है … देखो … मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो है नही … ” ईशाका मेसेज आया.
अतुलको फिरसे गुस्सा आ रहा था, लेकिन अपने गुस्सेपर काबू करते हूए उसने टाईप किया.
” ठीक है … तुम्हे अब मुझे कमसे कम १० लाख रुपए तो भी देने पडेंगे … पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा …”
उसने ‘सेंड’ बटनपर क्लिक कर मेसेज भेज दिया, और चॅटींग सेशनसे लॉग आऊटभी कर दिया. वह ईशासे जादा बहस नही करना चाहता था.
अब अतुल मेलबॉक्स खोल रहा था, तभी उसका ध्यान यूंही खिडकीके बाहर गया और वह भौंचक्का होकर उधर देखने लगा. बाहर एक पुलिस इन्स्पेक्टर और, और एक दो पुलिस तेजीसे सायबर कॅफेके तरफही आ रहे थे. अब सॅमके हरकतोंमे तेजी आ गई. उसने झटसे अपना कॉम्प्यूटर ऑफ किया और काऊंटरपर पैसे देकर वह सायबर कॅफेसे बाहर निकल गया. वह बाहर निकल गया उसके बाद कुछ पलही गुजर गए होंगे जब जल्दी जल्दी पुलिस इन्स्पेक्टर और उसके साथी सायबर कॅफेमें घुस गए. सायबर कॅफेमें प्रवेश करतेही इन्सपेक्टरने ऐलान किया,
” नो बडी वील गो आऊट ऑफ दी कॅफे… ऑल ऑफ यू स्टे व्हेअर यू आर… नो बडी वील मुव्ह “
ईशाके कॅबिनके बगलके रुममें दो कॉम्प्यूटर एक्सपर्टस, ईशा और निकिता बडी आस लगाए मोबाईलपर बोल रहे इन्स्पेक्टर राणाकी तरफ देख रहे थे.
इन्स्पेक्टरने मोबाईल अपने कानसे हटाया और मायूसीसे ईशाकी तरफ देखते हूए कहा,
” द बास्टर्ड इस मॅनेज्ड टू एस्केप अगेन…”
ईशा और निकिता ने एकदुसरेकी तरफ देखा, उनके खिले हूए चेहरे मायूस हो गए थे.
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