१७
घना जंगल. जंगलमें चारो तरफ बढे हूए उंचे उंचे पेढ. और पेढोंके निचे सुखे पत्ते फैले हूए थे. जंगलके पेढोंके बिचसे बने संकरे जगहसे रास्ता ढूंढते हूए एक काली, काले कांच चढाई हूई, कार तेडेमेडे मोड लेते हूए सुखे पत्तोसे गुजरने लगी. उस कारके चलनेके साथही उस सुखे पत्तोका एक अजिब मसलने जैसा आवाज आ रहा था. धीरे धीरे चल रही वह कार उस जंगलसे रास्ता निकालते हूए एक पेडके पास आकर रुकी. उस कारके ड्रायव्हर सिटका काला शिशा धीरे धीरे निचे सरक गया. ड्रायव्हींग सिटपर ईशा काला गॉगल पहनकर बैठी हूई थी. उसने कारका इंजीन बंद किया और बगलके पेडके तनेपर लगे लाल निशानकी तरफ देखा.
उसने यही वह पेढ ऐसा मनही मन पक्का किया होगा…
फिर उसने जंगलमें चारो ओर एक नजर दौडाई. दुर-दुरतक कोई परींदाभी नही दिख रहा था. आसपास किसीकीभी उपस्थिती नही है इसका यकिन होतेही उसने अपने बगलके सिटपर रखी ब्रिफकेस उठाकर पहले अपने गोदीमें ली. ब्रिफकेसपर दो बार अपना हाथ थपथपाकर उसने अपना इरादा पक्का किया होगा. और मानो अपना इरादा डगमगा ना जाए इस डरसे उसने झटसे वह ब्रिफकेस कारके खिडकीसे उस पेडके तरफ फेंक दी. धप्प और साथही सुखे पत्तोंका मसलने जैसा एक अजिब आवाज आया.
होगया अपना काम तो होगया …
चलो अब अपनी इस मसलेसे छूट्टी होगई…
ऐसा सोचते हूए उसने छुटनेके अहसाससे भरी लंबी आह भरी. लेकिन अगलेही क्षण उसके मनमें एक खयाल आया.
क्या सचमुछ वह इस सारे मसलेसे छूट चूकी थी? …
या वह अपने आपको एक झूटी तसल्ली दे रही थी…
उसने फिरसे चारो तरफ देखा. आसपास कहीभी कोई मानवी हरकत नही दिख रही थी. उसने फिरसे कार स्टार्ट की. और एक मोड लेते हूए कार वहांसे तेज गतिसे चली गई. मानो वहांसे निकल जाना यह उसके लिए इस मसलेसे हमेशाके लिए छूटने जैसा था.
जैसेही कार वहांसे चली गई, उस सुनसान जगहके एक पेडके उपर, उंचाईपर कुछ हरकत हो गई. उस पेडके उपर उंचाई पर बैठे, हरे पेडके पत्तोके रंगके कपडे पहने हूए एक आदमीने उसी हरे रंगका वायरलेस बोलनेके लिए अपने मुंहके पास लीया.
” सर एव्हरी थींग इज क्लिअर … यू कॅन प्रोसीड” वह वायरलेसपर बोला और फिरसे अपनी पैनी नजर इधर उधर घूमाने लगा. शायद वह, वहांसे चली गई कार कही वापस तो नही आ रही है, या उस कारका पिछा करते हूए वहां और कोई तो नही आया ना, इस बातकी तसल्ली करता होगा.
” सर एव्हती थींग इज क्लिअर… कन्फर्मींग अगेन” वह फिरसे वायरलेसपर बोला.
उस पेडपर बैठे आदमीका इशारा मिलतेही जिस पेडके तनेको लाल निशान लगाया हुवा था, उस पेडके बगलमेंही एक बढा सुखे हूए पत्तोका ढेर था, उसमें कुछ हरकत होगई. कार शुरु होनेका आवाज आया और उस सुखे हूए पत्तोके ढेरको चिरते हूए, उसमेंसे एक कार बाहर आ गई. वह कार धीर धीरे आगे सरकती हूई जहां वह ब्रीफकेस पडी हूई थी वहा गई. कारसे एक काले कपडे पहना हूवा और मुंहपरभी काले कपडे बंधा हूवा एक आदमी बाहर आ गया. उसने अपनी पैनी नजरसे इधर उधर देखा. जहां उसका आदमी पेडपर बैठा हूवा था उधरभी देखा और उसे अंगुठा दिखाकर इशारा किया. बदलेमें उस पेडपर बैठे आदमीनेभी अंगूठा दिखाकर जवाब दिया. शायद सबकुछ कंट्रोलमें होनेका संकेत दिया. उस कारमेंसे उतरे, उस काले कपडे पहने आदमीने आसपास कोई उसे देखतो नही रहा है इसकी तसल्ली करते हूए वह निचे पडी हूई ब्रीफकेस धीरेसे उठाई. ब्रीफकेस उठाकर कारके बोनेटपर रखकर खोलकर देखी. हजार रुपयोंके एकके उपर एक ऐसे रखे हूए बंडल्स देखतेही उसके चेहरेपर काले कपडेके पिछे, एक खुशीकी लहर जरुर दौड गई होगी. और उन नोटोंकी खुशबू उसके नाकसे होते हूए उसके मश्तिश्क तक उसे एक नशा चखाती हूए दौड गई होगी. उसने उसमेंसे एक बंडल उठाकर उंगली फेरकर देखकर फिरसे ब्रिफकेसमें रख दिया. उसने फिरसे ब्रिफकेस बंद की. पेडपर बैठे आदमीको फिरसे अंगुठा दिखाकर सबकुछ ठीक होनेका इशारा किया. वह काला साया वह ब्रिफकेस उठाकर फिरसे अपने कारमें जाकर बैठ गया. कारका दरवाजा बंद हो गया, कार शुरु होगई और धीरे धीरे गति पकडती हूई तेज गतिसे वहांसे अदृष्य होगई. मानो वहांसे जल्द से जल्द निकल जाना उस कारमें बैठे आदमीके लिए उन नोटोंपर जल्द से जल्द कब्जा जमाने जैसा था.
१८
उस दिलको दर्द देनेवाले, नही दिल को पुरी तरह तबाह कर देनेवाले घटनाको घटकर अब लगभग १०-१५ दिन हो गए होंगे. उस घटना को जितना हो सके उतना भूलनेकी कोशीश करते हूए ईशा अब पहले जैसे अपने काममें व्यस्त हो गई थी. या यू कहिए उन घटनासे होनेवाले दर्दसे बचनेके लिए उसने खुदको पुरी तरह अपने काममें व्यस्त कर लिया था. उसी बिच ईशाको आयटी क्षेत्रमें भूषणाह समझे जाने वाला ‘आय टी वुमन ऑफ द ईअर’ अवार्ड मिला. उस अवार्डकी वजहसे उसके यहां प्रेसवालोंका तांता लगने लगा था. उस भिडकी अब ईशाकोभी जरुरत महसूस होने लगी थी. क्योंकी उस तरहसे वह अपने अकेलेपनसे और कटू यादोंसे बच सकती थी. पिछले चारपांच दिनसे लगभग रोजही कभी न्यूजपेपरमें तो कभी टिव्हीपर उसके इंटरव्हू आ रहे थे.
ईशा ऑफीसमें बैठी हूई थी. निकिता उसके बगलमेंही बैठकर उसके कॉम्प्यूटरपर काम कर रही थी. उस बुरे अनुभवके बाद ईशाका चॅटींग और दोस्तोंको मेल भेजना एकदमही कम हुवा था. खाली समयमें वह यूंही बैठकर शुन्यमें ताकते हुए सोचते बैठती थी. उसके दिमागमें मानो अलग अलग तरहकी विचारोंका सैलाब उठता था. लेकिन वह तुरंत उन विचारोंको अपने दिमागसे झटकती थी. अबभी उसके मनमें विचारोंका सैलाब उमड पडा था. उसने तुरंत अपने दिमागमें चल रहे विचार झटकर अपने मनको दुसरे किसी चिजमे व्यस्त करनेके लिए टेबलका ड्रावर खोला. ड्रॉवरमें उसे उसने संभालकर रखे हूए न्यूजपेपरके कुछ कटींग्ज दिखाई दिए. ‘ आय टी वुमन ऑफ द इअर – ईशा मेहता’ न्यूज पेपरके एक कटींगपर हेडलाईन थी. उसने वह कटींग बाहर निकालकर टेबलपर फैलाया और वह फिरसे वह समाचार पढने लगी.
यह समाचार पढनेके लिए अब इस वक्त मेरे पिताजी होने चाहिए थे….
उसके जहनमें एक विचार आकर गया.
उन्हे कितना गर्व महसूस हुवा होता… अपनी बेटीका …
लेकिन भाग्यके आगे किसका कुछ चला है? …
अब देखोना अभी अभी आया हुवा अस्तित्व का ताजा अनुभव …
वह सोच रही थी तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा.
काफी दिनोंसे चॅटींग और मेलींग कम करनेके बाद ज्यादातर उसे किसीका मेसेज नही आता था ….
फिर यह आज किसका मेसेज होगा …
कोई हितचिंतक?…
या कोई हितशत्रू…
आजकल कैसे हर बातमें उसे दोनो पहेलू दिखते थे – एक अच्छा और एक बुरा. ठेस पहूंचनेपर आदमी कैसे संभल जाता है और हर कदम सोच समझकर बढाता है.
ईशाने पलटकर मॉनीटरकी तरफ देखा.
” अस्तित्व का मेसेज है …” कॉम्प्यूटरपर बैठी निकिता ईशाकी तरफ देखकर सहमकर बोली. निकिताके चेहरेपर डर और आश्चर्य साफ नजर आ रहा था. वह भावनाए अब ईशाके चेहरेपरभी दिख रही थी. ईशा तुरंत उठकर निकिताके पास गई. निकिता ईशाको कॉम्प्यूटरके सामने बैठनेके लिए जगह देकर वहांसे उठकर बगलमें खडी हो गई. ईशाने कॉम्प्यूटरपर बैठनेके पहले निकिताको कुछ इशारा किया वैसे निकिता तुरंत दरवाजेके पास जाकर जल्दी जल्दी कॅबिनसे बाहर निकल गई.
” मिस. ईशा … हाय … कैसी हो ?” अस्तित्व का उधरसे आया मेसेज ईशाने पढा.
एक पल उसने कुछ सोचा और वह भी चॅटींगका मेसेज टाईप करने लगी –
” ठीक है … ” उसने मेसेज टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक करते हूए उसे भेज दिया.
” तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है … लेकिन क्या करे? … पैसा यह साली चिजही वैसी है … कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है …” उधरसे अस्तित्व का मेसेज आ गया.
ईशाको शक थाही की कभी ना कभी वह और पैसे मांगेगा …
” मुझे इस बार २० लाख रुपएकी सख्त जरुरत है …” उधरसे अस्तित्व का मेसेज आ गया.
” अभी तो तुम्हे ५० लाख रुपए दिए थे … अब मेरे पास पैसे नही है …” ईशाने झटसे टाईप करते हूए मेसेज भेज भी दिया.
मेसेज टाईप करते हूए उसके दिमागमें औरभी काफी विचारोंका चक्र चल रहा था.
” बस यह आखरी बार … क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं ” उधरसे अस्तित्व का मेसेज आया.
” तुम परदेस जावो … या और कही जावो … मुझे उससे कुछ लेना देना नही है … देखो … मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो नही है … ” ईशाने मेसेज भेजा.
” ठीक है … तुम्हे अब मुझे कमसे कम १० लाख रुपए तो भी देने पडेंगे … पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा …” उधरसे मेसेज आया.
ईशा कुछ टाईप कर उसे भेजनेसे पहलेही अस्तित्व का चॅटींग सेशन बंद हो गया था. ईशा एकटक उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी. वह देख तो मॉनिटरके तरफ थी लेकिन उसके दिमागमें विचारोंका तांता लग गया था. लेकिन फिरसे उसके दिमागमें क्या आया क्या मालूम?, वह झटसे उठकर खडी हो गई और लंबे लंबे कदम भरते हूए कॅबिनसे बाहर निकल गई.१९
‘इथीकल हॅकींग कॉम्पीटीशन – ऑर्गनायझर – सीक्युर डेटा’ ऐसा एक बॅनर बडे अक्षरोंमें स्टेजपर लगाया गया था. आज कॉम्पीटीशन का आखरी दिन था और जितनेवालोंके नाम घोषीत किए जाने थे. पारीतोषीक वितरणके लिए प्रमुख अतिथीके तौर पर ईशाको बुलाया गया था. स्टेजपर उस बॅनरके बगलमें ईशा प्रमुख अतिथी के लिए आरक्षित कुर्सीपर बैठी हुई थी. और उसके बगलमें एक अधेड उम्र आदमी, कश्यपजी बैठे थे. वे ‘सीक्युर डेटा’ के हेड थे. तभी स्टेजके पिछेसे ऍन्कर सामने माईकके पास जाकर बोलने लगा,
” गुड मॉर्निंग लेडीज ऍंड जन्टलमन… जैसे की आप सब लोग जानते हो की हमारी कंपनी ” सीक्युर डेटाका यह सिल्वर जूबिली साल है और उसी सिलसिले में हमने ‘इथीकल हॅकींग’ इस प्रतियोगीता का आयोजन किया था … आज हम उस प्रतियोगीताके आखरी दौरसे यानीकी पारितोषीक वितरणके दौरसे गुजरने वाले है … इस पारितोषीक वितरण के लिए हमने एक खास मेहमान को यहां आमंत्रित किया है … जिन्हे हालहीमें ‘आय टी वूमन ऑफ द ईयर’ सम्मान देकर गौरवान्वीत किया गया है … “
हॉलमें बैठे सब लोगोंकी नजरे स्टेजपर बैठे ईशापर टीक गई थी. ईशानेभी एक मंद स्मित बिखेरते हूए हॉलमें बैठे लोगोंपर एक नजर दौडाई.
” और उन खास मेहमानका नाम है … मिस ईशा मेहता …. उनके स्वागतके लिए मै स्टेजपर हमारे एक्सीक्यूटीव मॅनेजर श्रीमती सोनी झवेरिया इन्हे आमंत्रित करता हूं …”
श्रीमती सोनी झवेरियाने स्टेजपर आकर फुलोंका गुलदस्ता देकर ईशाका स्वागत किया. ईशानेभी खडे होकर उस गुलदस्तेका बडे विनयके साथ अभिवादन करते हूए स्विकार किया. हॉलमें तालीयां गुंज उठी. मानो एक पलमें वहां उपस्थित लोगोंके शरीमें उत्साह प्रवेश कर गया हो. तालीयोंकी आवाज थमतेही ऍन्कर आगे बोलने लगा –
” अब मै स्टेजपर उपस्थित हमारे मॅनेजींग डायरेक्टर श्री. कश्यपजीके स्वागतके लिए हमारे मार्केटींग मॅनेजर श्री. फिलिप हँकजीको यहां आमंत्रित करता हूं …”
श्री. फिलिप हँकने स्टेजपर जाकर कश्यपजीका एक गुलदस्ता देकर स्वागत किया. हॉलमें फिरसे तालियां गुंज उठी.
” अब कश्यपजींको मै बिनती करता हूं की वे यहां आकर दो शब्द बोलें ” ऍन्करने माईकपर कहां और वह कश्यपजींकी माईकके पास आनेकी राह देखते हूए खडा रहा.
कश्यपजी खुर्चीसे उठकर खडे हो गए. उन्होने एक बार ईशाकी तरफ देखा. दोनों एक दुसरेकी तरफ देखकर मुस्कुराए. और अपना मोटा शरीर संभालते हूए धीरे धीरे चलते हूए कश्यपजी माईकके पास आकर पहूंच गए.
” आज इथीकल हॅकींग इस स्पर्धाके लिए आमंत्रित की गई … जी.एच इन्फॉर्मॆटीक्स इस कंपनीकी मॅनेजींग डायरेक्टर और आय टी वूमन ऑफ दिस इयर मिस ईशा मेहता, यहां उपस्थित मेरे कंपनीके सिनीयर आणि जुनियर स्टाफ मेंबर्स, इस स्पर्धामें शामिल हूए देशके कोने कोनेसे आए उत्साही युवक आणि युवतीयां, और इस स्पर्धाका नतिजा जाननेके लिए उत्सुक लेडीज ऍन्ड जन्टलमन… सच कहूं तो … यह एक स्पर्धा है इसलिए नही तो हर एक के जिंदगी की हर एक बात एक स्पर्धाही होती है … लेकिन स्पर्धा हमेशा खिलाडू वृत्तीसे खेली जानी चाहिए .. अब देखो ना … यह इतना बडा अपने कंपनीके स्टाफका समुदाय देखकर मुझे एक पुरानी बात याद आ गई … की १९८४ में हमने यह कंपनी शुरु की थी…. तब इस कंपनीके स्टाफकी गिनती सिर्फ ३ थी … मै और, और दो सॉफ्टवेअर इंजिनिअर्स… और तबसे हमने हर दिन लढते झगडते …. हर दिनको एक स्पर्धा एक कॉंपीटीशन समझते हूए हम आज इस स्थितीमें पहूंच गए है….. मुझे यह बताते हूए खुशी और अभिमान होता है की आज अपने कंपनीने इस देशमेंही नही तो विदेशमेंभी अपना झंडा फहराया है और आज अपने स्टाफकी गिनती .. ३०००० के उपर पहूंच चूकी है …”
हॉलमें फिरसे एकबार लोगोंने तालियां बजाते हूए हॉल सर पर उठा लिया. तालीयां थमनेके बाद कश्यपजी फिरसे आगे बोलने लगे. लेकिन स्टेजपर बैठी ईशा उनका भाषण सुनते हूए कब अपने खयालोंमे डूब गई उसे पताही नही चला …
( ईशा और निकिता कॉफी हाऊसमें एकदुसरेके सामने बैठे थे और दोनो अपने अपने सोच मे डूबी धीरे धीरे कॉफीकी चुस्कीयां ले रही थी. उनमें एक अजिबसा सन्नाटा फैला हुवा था. आखिर ईशाने उस सन्नाटेको भंग किया –
” बराबर २ दिन हो गए है … उसकी अगली मेल अभीतक कैसे नही आई ? “
” शायद उसे शक हुवा होगा ” निकिताने कहा.
” ऐसाही लगता है … ” ईशा आह भरती हुई बोली.
” मुझे लग रहा था की इस बार हम उसे पकडनेमें जरुर कामयाब होंगे … लेकिन अब मुझे चिंता होने लगी है की हम उसे कभी पकडनेमें कामयाबभी होंगे की नही ” ईशाने कहा.
” और हा उसे शक होना भी उतनाही खतरनाक है .. उसने सारे फोटो अगर इंटरनेटपर डाले तो सारा ही खेल बिगड जाएगा … और बदनामीभी होगी वह अलग ” निकिताने कहा.
ईशाने अपने सोचमें डूबे हूए हालतमें सिर्फ सर हिलाया.
” एकही झटकेमें उसे पकडना जरुरी है … नही तो अपना प्लान पुरा फेल हो जाएगा ” ईशाने कहा ….)
…. हॉलमें चल रहे तालीयोंकी गुंजसे ईशा अपने सोचके विश्वसे बाहर आ गई. उसने चारो तरफ अपनी नजरे दौडाई. कश्यपजींका स्पीच खत्म हो चुका था और वे उसके बगलकेही सिटपर वापस आ रहे थे. वह उनके तरफ देखकर मुस्कुराई, मानो उनके स्पिचकी सराहना कर रही हो. उधर ऍन्कर फिरसे माईकके पास गया था और उसने ऐलान किया – ” अब मै पारितोषीक वितरणके लिए जी. एच. इन्फॉरमेटीक्सकी मॅनेजींग डायरेक्टर … दि आय. टी वुमन ऑफ दिस इयर… मिस. ईशा मेहता … उन्हे आमंत्रित करता हूं …”
ईशा उठ खडी होगई और माइकके पास चली गई. फिरसे हॉल तालीयोंसे गुंज उठा.
” तो अब हम पारितोषीक वितरणके लिए आगे बढते है … ” एन्करने माइकपर जाहिर किया.
“… जैसे आप लोग जानते हो … इस प्रतियोगिता को जब जाहिर किया गया तब हमे इसमें भाग लेनेके लिए इच्छूक लोगोंका बहुत प्रतिसाद मिला… देशभरसे लगभग तिन हजार लोगोंके अप्लीकेशन फॉर्मस हमें मिले …. पहले छाननीमें हमनें उसमेंसे सिर्फ ५० अप्लीकेशन्स चूने … और अब फायनलमें जो चुने है वे है सिर्फ तिन … लेकिन उन तिन लोगोंके नाम जाननेके पहले हमें थाडा रुकना पडेगा. क्योंकी पहले हम कुछ लोगोंको कुछ प्रोत्साहनपर प्राईजेस देने वाले है ….”
प्रोत्साहनपर प्राइजेस देनेमें जादा समय न बिताते हूए ऍन्कर एक एकको स्टेजपर बुला रहा था और ईशा उनको प्राईज देकर उनको शाबासकी देकर उनकी वहांसे रवानगी कर रही थी. प्रोत्साहनपर प्राईजेस खत्म हूए वैसे लोगोंमे फिरसें उत्साह बढता हूवा दिखने लगा.
” अब जिन तिनोंके नाम जाननेके लिए हम उत्सुक है वह वक्त आ चुका है … सबसे पहले मै तिसरा प्राईज जिसे मिला उस प्रतियोगीका नाम जाहिर करने वाला हूं … ” एन्करने सब लोगोंकी जिज्ञासा और बढाते हूए एक बडा पॉज लिया , ” तिसरा प्राईज है १ लाख रुपये कॅश और मोमेंटो… तो थर्ड प्राईज… मि. उज्वल जोशी फ्रॉम नागपूर… प्लीज कम ऑन द स्टेज… “
हॉलमें तालियां गुंजने लगी. एक पतलासा सावला २० -२२ जिसकी उम्र होगी ऐसा एक लडका सामनेके दसमेंसे एक कतारमेंसे खडा होकर स्टेजकी तरफ जाने लगा. उस प्रतियोगीकी तरफ देखकर किसे लगेगा नही की उसे तिसरा प्राईज मिल सकता है … लेकिन उसके चलनेमें एक जबरदस्त आत्मविश्वास झलक रहा था. अमोल राठोड स्टेजपर आया. जिस आत्मविश्वाससे वह चला था उसी आत्मविश्वासके साथ उसने पुरस्कारका स्विकार किया और ईशासे हस्तांदोलन किया. हॉलमें मीडीयाकी भी काफी उपस्थिती थी. पुरस्कार स्विकार करते वक्त बिजली चमकें ऐसे फोटोंकें फ्लॅश दोनोंके उपर चमक रहे थे.
फिरसे हॉलमें मानो जोरसे बारिश हो ऐसे लोगोंने तालियां बजाई. अमोल राठोड स्टेजसे उतरकर फिरसे अपने कुर्सीकी तरफ जाने लगा वैसे ऍन्कर दुसरा प्राईज जिसे मिला उसके नामका ऐलान करनेके लिए सामने आया,
” दुसरा पारितोषीक है १.५ लाख रुपये कॅश और मोमेंटो… तो थर्ड प्राईज गोज टू… मिस. मेघना रस्तोगी फ्रॉम बंगलोर … प्लीज कम ऑन द स्टेज… “
हॉलमें फिरसे तालियां बजने लगी. एक गोरी उंची पतली नाजूकसी लगभग २०-२१ सालकी युवती स्टेजपर आने लगी. ईशा शायद वह खुदभी एक स्त्री होनेसे उस लडकीकी तरफ आंखे भरकर देख रही थी. अनघा स्टेजपर ईशाके पास आ गई. पुरस्कार देकर ईशाने उसे गले लगा लिया. फिरसे कॅमेरेके फ्लॅश जैसे बिजली चमके ऐसे चमकने लगे.
अनघा जैसेही स्टेजसे निचे उतरकर अपने जगहपर वापस आगई ऍन्करने फिरसे माईकपर कब्जा कर लिया था ,
” अब आखिरमें हम जिस पलकी इतनी बेसब्रीसे राह देख रहे है वह पल एकदम नजदिक आ पहूंचा है … पहला पुरस्कार ऐलान करनेका पल … इन फॅक्ट मै अपने आपको बडा भाग्यशाली समझता हूं की पहला पुरस्कार किसको जानेवाला है यह ऐलान करनेका सौभाग्य मुझे मिल रहा है … क्योंकी वह प्रतिस्पर्धी सारे भारतमें एक अव्वल प्रतिस्पर्धी रहनेवाला है … तो पहले देखते है की वह प्रथम पुरस्कार क्या है … प्रथम पुरस्कार है ३ लाख रुपए कॅश, मोमेंटो ऍन्ड अ जॉब ऑफर इन सीक्युर डेटा… “सब लोग शांत होकर सुन रहे थे. मानो उस पलके लिए उन्होने अपनी सांसे रोककर रखी थी. बहुत लोग अपनी गर्दन उंची कर सामने देखने की कोशीश कर रहे थे. हॉलमें सब तरफ पिनड्रॉप सायलेन्स था ….
” फर्स्ट प्राईज गोज टू … द वन ऍन्ड ओन्ली वन… मि. सॅम पॅट्रिक फ्रॉम दमन दिऊ …”
दुसरी कतार विचलित हूई दिखी, क्योंकी दुसरी कतारसे कोई उठा था. सब लोगों के सर उस दिशामें मुड गए. इसबार हॉलमें सबसे बडा और सबसे दिर्घ तालियोंका आवाज हुवा. सचमुछ उसका यश उसके नामके अनुरुप ‘सॅम’ यानी की अतुलनीय था. वह उठकर लगभग दौडते हूए ही स्टेजपर चला गया, इससे उसका अपूर्व उत्साह और आत्मविश्वास दिख रहा था. गोरा, उंचा, स्मार्ट, कसा हूवा शरीर ऐसा वह सशक्त यूवक था. ईशाने अपनी दिशामें आते उस पहले पुरस्कारके हकदारकी तरफ देखा. उसके चेहरेपर एक तेज चमक रहा था. आंखे निली और चमकीली थी. उसकी आखोंमे देखकर पलभरके लिए ईशाको अस्तित्व की याद आ गई. लेकिन अपने विचारोंको दिमागसे झटककर वह आगे गई. वह ईशाके सामने आकर खडा हो गया और उसने लोगोंकी तरफ मुडकर उनको अभिवादन किया. पहलेका तालियोंका आवाज जो अब भी बरकरार था वह और बढ गया. लोगों को अभिवादन कर उसने ईशाकी तरफ देखा और उसकी नजर ईशापर से हटनेका नाम नही ले रही थी, मानो वह उसके मदहोश करनेवाली आंखोमें अटकसा गया था. तालियोंकी गुंज अब भी चल रही थी. लेकिन अचानक एक अजिब घटना घटी, ईशाने जितने जोरसे हो सकता है उतनी जोरसे उसके गालपर एक चाटा जड दिया था. तब कहा वो होशमें आगया. हॉलमें चल रहा तालियोंका आवाज एकदमसे बंद होगया, मानो किसीने स्विच ऑफ किया हो. उसने और वहां उपस्थित किसीनेभी सोचा नही होगा वैसी अजिब वह घटना थी. हां ईशाने उसके गालपर एक जोरका चाटा जमा दिया था. उसका ही क्यों सारे उपस्थित लोगोंका इस बातपर यकिन नही हो रहा था. हॉलमें एकदम श्मशानवत चुप्पी फैल गई.. एकदम पिनड्रॉप सायलेन्स.
” यस आय स्लॅप्ड हिम… ऍन्ड ही डीजर्व इट… क्योंकी वह एक क्रॅकर है … सिर्फ क्रॅकरही नही तो ही इज आल्सो अ ब्लॅकमेलर…” हॉलमें चुप्पीका भंग हुवा वह ईशाके इन शब्दोनें .
ईशा लगातार बोल रही थी. उसकी आंखोमें आग थी. गुस्सेसे ईशाका पुरा शरीर कांप रहा था. तभी इन्स्पेक्टर राणा, जो पहलेसे ही तैयार थे, वे डायसपर दो कॉन्स्टेबलके साथ आ गए. उन्होने प्रथम सॅमकी कॉलर पकडकर दो तिन तमाचे उसके कानके निचे जड दिए.
” इन्स्पेक्टर ” सॅम गुर्राया.
उसके मासूम, स्मार्ट चेहरेने अब उग्र रुप धारण किया था. उसे जडाए हुए तमाचोंकी वजहसे लाल हुवा उसका चेहरा औरही भयानक लग रहा था. इन्स्पेक्टरने जादा वक्त ना दौडाते हूए उसे हथकडीयां पहनाकर अरेस्ट किया और वे गुस्सेसे चिल्लाए, ” टेक दिस बास्टर्ड अवे…”
कॉन्स्टेबल उसे लेकर, लगभग खिंचते हूएही वहांसे चले गए. उसका मद और नशा अबभी उतरा हुवा नही दिखाई दे रहा था. वह वहांसे जाते हूए कभी गुस्सेसे इन्स्पेक्टरकी तरफ तो कभी ईशाकी तरफ देख रहा था.
” याद रखो मुझे अरेस्ट करना तुम्हे बहुत महंगा पडनेवाला है ” जाते जाते वह चिल्लाया.
कॉन्स्टेबल जब सॅमको वहांसे ले गया और सॅम सब लोगोंके नजरोंसे ओझल हुवा तब कहां इतनी देरसे हक्काबक्का रहे लोगोंमे खुसुरफुसुर शुरु हो गई. कुछ लोग अबभी डरे, सहमे और सदमे मे थे, तो कुछ लोगोंको यह सब क्या हो रहा है कुछ समझ नही आ रहा था. प्रथम पुरस्कार जिसे मिला उस लडकेको अचानक ईशाने मारा और इन्स्पेक्टरने डायसपर आकर उसे गिरफ्तार किया. सबकुछ कैसे लोगोंके समझके बाहर था. लोगोंमें चलरही खुसुफुसुर देखकर इन्स्पेक्टरने ताड लिया की लोगोंको पुरी केस और उसकी गंभिरता समझाना जरुरी है, नही तो लोग और गडबडी मचा सकते है. क्योंकी सॅम जो कुछ पल पहलेही सबलोगों का हिरो था उसे ईशाने अगलेही पल उसे व्हिलन करार दिया था. लोगोंको वह सच्चा या ईशा सच्ची यह जाननेकी उत्कंठा होनाभी लाजमी था.
” शांत हो जाईए … शांत हो जाईए प्लीज…” इन्स्पेक्टर हात उपर कर, जो कुछ लोग उठ खडे हूए थे उन्हे बिठाते हूए बोले, ” कोई डरनेकी या घबरानेकी कोई जरुरत नही… दिस इज अ केस ऑफ ब्लॅकमेलींग ऍन्ड सायबर क्राईम… मैने खुद इस केसपर काम किया है … और इस केसका गुनाहगारके तौरपर अभी अभी आपके सामने सॅम बिश्वास को पकडा गया है …”
फिरभी लोग शांत होनेके लिए तैयार नही थे, तब ऍन्करने फिरसे माईकका कब्जा लिया, ” दोस्तो शांत हो जाईए .. प्लीज शांत हो जाईए .. हमारी प्रतिस्पर्धाभी इथीकल हॅकींग … यानीकी हॅकिंगके बारेमेही थी… और इन्स्पेक्टरने अभी आप लोगोंके सामने हॅन्डल की केसभी हॅकींग और क्रॅकींगके बारेमेंही थी .. इसलिए इन्स्पेक्टर साहेबको मेरी बिनती है की वे इस केसके बारेमें… उन्होने यह केस कैसे हॅन्डल की… यह केस हॅन्डल करते वक्त कीन कीन चुनौतीयोंका सामना उन्हे करना पडा… और आखिर वह गुनाहगारतक कैसे पहूंचे … यह सब यहां इकठ्ठा हूए लोगोंको विस्तारसे बतायें …”
अब कहा लोग फिरसे शांत हो चुके थे. यह केस क्या है? … और इन्स्पेक्टरने उसे कैसे हॅन्डल किया.. यह जाननेकी लोगोंमें उत्सुकता दिखने लगी. एन्करने एकबार फिरसे इन्स्पेक्टरकी तरफ देखा और उन्हे आगे आकर पुरी कहानी बयां करनेकी बिनती की. इन्स्पेक्टरने ईशाकी तरफ देखा. ईशाने आखोंसेही इजाजत दे दी. इन्स्पेक्टर सामने आये और उन्होने माईक ऍन्करसे अपने पास ले लिया .
इन्स्पेक्टर कहानी कथन करने लगे –
” सायबर क्राईम यह अब भारतमें नया नही रहा है … आजकल पुरे देशमें लगभर रोज कुछना कुछ सायबर क्राईमकी घटनाएं घटीत होती रहती है …. लेकिन तहकिकात करते वक्त मुझे हमेशा इस बातका अहसास होता है की लोगोंकी सायबर क्राइमके बारेंमे बहूत गलतफहमीयां है … जितनी उनकी सायबर क्राईमके बारेमें गलतफहमीयां है उतनाही उनका अपने देशके पुलिस डिपार्टमेंटपर भरोसा उडा हूवा दिखाई देता है … उन्हे हमेशा आशंका लगी रहती है की यह टोपी और डंडे लेकर घुमनेवाले पुलिस यह इतना ऍडव्हान्स… यह इतना टेक्नीकल क्राईम कैसे हॅन्डल कर सकते है? … उन्हे सायबर क्राईमके बारेमें अपना पुलिस डिपार्टमेंट कितना सक्षम है इसके बारेमें आशंकाए लगी रहती है. … लेकिन अब अभी अभी मैने हॅन्डल किए केसके जरीए मै लोगोंको यकिन दिलाना चाहता हूं की … सायबर क्राईमके बारेमें अपना पोलीस डीपार्टमेंट सिर्फ सक्षमही नही तो पुरी तरहसे तैयार है … इस तरह का या और किसी तरहका गुनाह होनेके बाद जिस कार्यक्षमतासे हम दुसरे गुनाहगारोंको तुरंत पकड सकते है उसी कार्यक्षमतासे हम सायबर क्रिमीनल्सको भी पकड सकते है…. लेकिन फिर भी कुछ चिजोंके बारेंमे हम गुनाह हॅन्डल करते वक्त कम पडते है … खासकर जब उस गुनाहको दुसरे किसी देशके जमिन से अंजाम दिया जाता है तब… उस केसमें वह गुनाहगार किसी दुसरे देशके कानुनके कार्यक्षेत्रमें आता है … और फिर वह देश हमें उस गुनाहके बारेमें उस गुनाहगारको पकडनेके लिए कितना सहकार्य करते है इसपर सब निर्भर करता है…. सायबर गुनाहके बारेमें और एक महत्वपुर्ण बात… इसमें इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले लोगोंको कुछ चिजोंमे बहुतही जागरुक होना आवश्यक होता है .. जैसे किसीको, उस सामनेके पार्टीकी पुरी जानकारी रहे बिना खुदकी जानकारी … … पासवर्ड .. फोन … मोबाईल देना बहुतही खतरनाक होता है … वैसे अनसेफ, अनप्रोटेक्टेड, अनसेक्यूअर कनेक्शनपर फायनांसीयल ट्रान्झेक्शन करना … अपने खुदके प्रायव्हेट फोटो इंटरनेटपर भेजना … इत्यादी… यहभी खतरेसे खाली नही है… अब मै यह जो केस विस्तारपुर्वक बतानेवाला हूं … इससे आपको किस तरह जागरुक रहना पडेगा इसका अंदाजा आ जाएगा …”Adultery
इतनी प्रस्तावना देकर इन्स्पेक्टर सॅमके केसके बारेंमे बताने लगे …एक रुममें सॅम और रघु रहते थे. रुमके स्थितीसे यह जान पडता था की उन्होने रुम किराएसे ली होगी. कमरे में एक कोने में बैठकर सॅम अपने कॉम्प्यूटरपर बैठकर चॅटींग कर रहा था और कमरेके बिचोबिच रघु डीप्स मारता हूवा एक्सरसाईज कर रहा था. सॅम अपने कॉम्प्यूटरपर दिख रहे चॅटींग विंडोमें धीरे धीरे उपर खिसक रहे चॅटींग मेसेजेस एक एक करके पढ रहा था. शायद वह चाटींगके लिए कोई अच्छा साथीदार ढूंढ रहा होगा. जबसे उसे चॅटींगका आविष्कार हूवा तब से ही उसे यह बहुत पसंद आया था. पहले खाली वक्तमें वक्त बितानेका गप्पे मारना इससे कारगर कोई तरीका नही होगा ऐसी उसकी सोच थी. लेकिन अब जबसे उसे चॅटींगका आविष्कार हुवा उसकी सोच पुरी तरह बदल गई थी. चॅटींगकी वजहसे आदमीको मिले बिना गप्पे मारना अब संभव होगया था. कुछ जान पहचानवाले तो कुछ अजनबी लोगोंसे चॅट करने में उसे बडा मजा आने लगा था. अजनबी लोगोंसे आमने सामने मिलने के बाद कैसे उन्हे पहले अपने कंफर्टेबल झोन में लाना पडता है और उसके बाद ही बातचित आगे बढ सकती है. और उसके लिए सामनेवाला कैसा है इसपर सब निर्भर करता है और उसको कंफर्टेबल झोन में लाने के लिए कभी एक घंटा तो कभी कई सारे दिनभी लग सकते है. चॅटींगपर वैसा नही होता है. कोई पहचान का हो या अजनबी बिनदास्त मेसेज भेज दो. सामनेवाले ने एंटरटेन किया तो ठीक नही तो दुसरा कोई साथी ढूंढो. अपने पास सारे विकल्प होते है. कुछ न समझनेवाले तो कुछ गाली गलोच वाले कुछ संवाद उसे चॅटींग विंडोमें उपर उपर खिसकते हूए दिखाई दे रहे थे.
तभी उसे बाकी मेसेजसे कुछ अलग मेसेज दिखा ,
” अच्छा तुम क्या करती हो? … मेरा मतलब पढाई या जॉब?”
किसी अस्तित्व का मेसेज था.
वह उसका असली नामभी हो सकता था या नकली …
” मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है … और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं ” अस्तित्व के मेसेजके रिस्पॉन्सके तौरपर यह मेसेज अवतरीत हूवा था.
भेजनेवाले का नाम ईशा था.
अचानक मेसेज पढते हूए सॅमके दिमागमें एक विचार कौंधा.
इस मेसेजसे क्या मै कुछ फायदा ले सकता हूं ?…
वह मनही मन सोचकर सारी संभावनाए टटोल रहा था. सोचते हूए अचानक उसके दिमागमें एक आयडीया आ गया.
वह झटसे रघुकी तरफ मुडते हूए बोला, ” रघु जल्दीसे इधर आ जाओ “
उसका चेहरा एक तरहकी चमकसे दमक रहा था.
रघु एक्सरसाईज करते हूए रुक गया और कुछ इंटरेस्ट ना दिखाते हूए धीमे धीमे उसके पास आकर बोला, ” क्या है ?… अब मुझे ठीकसे एक्सरसाईज भी नही करने देगा ?”
” अरे इधर मॉनिटरपर तो देखो … एक सोनेका अंडा देनेवाली मुर्गी हमें मिल सकती है ..” सॅम फिरसे उसका इंटरेस्ट जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
अब कहा रघु थोडा इंटरेस्ट लेकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगा.
तभी चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा और उपर खिसक रहा अस्तित्व का और एक मेसेज उन्हे दिखाई दिया,
” अरे बापरे!.. ” तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?… नही … मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. … “
उसके बाद तुरंत ईशाने भेजा हूवा रिस्पॉन्सभी अवतरीत हूवा –
” २३ साल”
” देख तो यह हंस और हंसिनी का जोडा… यह हंसीनी एक सॉफ्टवेअर कंपनीकी मालिक है … मतलब मल्टी मिलीयन डॉलर्स…” सॅम अपने चेहरेपर आए लालचभरे भाव छूपानेका प्रयास करते हूए बोला.
तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें अस्तित्व का मेसेज अवतररीत हूवा,
” अरे यह तो मुझे पताही था… मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था…. सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो … तो मेरे सामने एक ४५-५० सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी… “
रघुने उन दोनोंके उस विंडोमें दिख रहे सारे मेसेजेस पढ लिए और पुछा, ” लेकिन हमें क्या करना पडेगा ?”
” क्या करना है यह सब तुम मुझपर छोड दो … सिर्फ मुझे तुम्हारा साथ चाहिए ” सॅम अपना हाथ आगे बढाते हूवा बोला.
” कितने पैसे मिलेगे ?” रघुने असली बातपर आते हूए सवाल पुछा.
” अरे लाखो करोडो में खेल सकते है हम ” सॅम रघुका लालच जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
” लाखो करोडो?” रघु सॅमका हाथ अपने हाथमे लेते हूए बोला, ” तो फिर मै तो अपनी जानभी देनेके लिए तैयार हूं “
तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें ईशाका मेसेज अवतरीत हूवा , ” तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?…”
उसके पिछेही अस्तित्व का जवाब चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा, ” मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें … मेरी असली उम्र डाली हूई है …”
” २३ साल… बहूत नाजुक उम्र होती है … मछली प्यारके जालमें फसकर कुछभी कर सकती है ” सॅम अजिब तरहसे मुस्कुराते हूए बोला.